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Hindi News भारत राष्ट्रीय साढ़े 17 करोड़ के इंजेक्शन से बच सकती है इस बच्चे की जान, जानिए कौन सी है बीमारी

साढ़े 17 करोड़ के इंजेक्शन से बच सकती है इस बच्चे की जान, जानिए कौन सी है बीमारी

स्पाइनल मसल एट्रोफी में शरीर के अंदर एक जीन मिसिंग होता है। Zolgensma इंजेक्शन देकर ये जीन शरीर में डाला जाता है, जिसके बाद शरीर को मसल ठीक होने लगती है।

स्पाइनल मसल एट्रोफी बीमारी से पीड़ित कनक - India TV Hindi Image Source : IMPACTGURU स्पाइनल मसल एट्रोफी बीमारी से पीड़ित कनक

नई दिल्ली: कहा जाता है कि आज विज्ञान ने ऐसी उन्नति कर ली है कि हर चीज संभव है। लगभग हर बीमारी का इलाज ढूंढ लिया गया है, लेकिन यह ईलाज इतना महंगा है कि आम आदमी खर्चे के बारे में सोच भी नहीं सकता है। इनमें से ज्यादातर बीमारी जेनेटिक हैं। इसी तरह की एक बीमारी से ग्रसित है 13 महीने का कनव। 

जेनेटिक बीमारी से जूझ रहा है कनव 

कनव 13 महीने का एक छोटा बच्चा है, जिसकी जिंदगी खतरे में है। कनव को एक रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर स्पाइनल मसल एट्रोफी टाइप 1 है। इस बीमारी का एक ही इलाज है। कनक को साढ़े 17 करोड़ रुपए का Zolgensma इंजेक्शन ही ठीक कर सकता है। इस डिसऑर्डर की वजह से कनव के शरीर की मांसपेशियां धीरे धीरे काम करना बंद कर रही हैं। कनव की मां गरिमा बताती हैं कि जब 5 महीने का हुआ तो वो अपने शरीर को साधना सीख ही रहा था कि उसके शरीर के निचले हिस्से में मूवमेंट कम होने लगी। पहले वो अपने पैरों पर अपने शरीर का वजन लेकर खड़े होने की कोशिश करता था लेकिन कनव का शरीर धीरे धीरे बदलाव दिखाने लगा और उसके निचले शरीर की मांसपेशियां अब कम काम कर रही है।

Image Source : file13 महीने के बच्चे को लगाना होगा करोड़ों का इंजेक्शन

इस बीमारी में शरीर से मिसिंग होता है एक जीन 

स्पाइनल मसल एट्रोफी में शरीर के अंदर एक जीन मिसिंग होता है। Zolgensma इंजेक्शन देकर ये जीन शरीर में डाला जाता है, जिसके बाद शरीर को मसल ठीक होने लगती है। कनव के पास बहुत कम समय है। बता दें कि इस बीमारी से ग्रसित बच्चों में केवल 2 साल तक ही ये इंजेक्शन लग सकता है। कनव की मां और पिता इंपैक्ट फंड रेजर के जरिए साढ़े 17 करोड़ रूपए जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक 7 करोड़ के तकरीबन फंड जुटाया गया है, लेकिन अभी भी लंबा सफर बाकी है। 

प्रेग्नेंसी के दौरान पता लगाई जा सकती है बीमारी 

समय की कमी है इसलिए जल्द से जल्द इंजेक्शन लगना जरूरी है। इस बीमारी का पता प्रेग्नेंसी में ही पता लगाया जा सकता है। कनव के पिता बताते हैं कि एक टेस्ट के जरिए ये पता चल जाता है। कनव के पिता अमित जांगरा इस डिसऑर्डर के लिए लोगों में जागरुकता भी फैला रहे हैं, जिससे और किसी को कंव जैसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

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