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Hindi News भारत राष्ट्रीय आंगनवाड़ी में पांच साल से कम आयु के 38.9% बच्चे बौने पाए गए

आंगनवाड़ी में पांच साल से कम आयु के 38.9% बच्चे बौने पाए गए

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने बताया कि पांच साल तक की आयु के 7.54 करोड़ बच्चे आंगनवाड़ी में नामांकित हैं और पोषण ट्रैकर पर रजिस्टर्ड हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से 7.31 करोड़ बच्चों का विकास मापदंडों के लिए मापन किया गया।

anganwadi centre- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO आंगनबाड़ी केंद्र

नई दिल्ली: सरकार ने राज्यसभा को बताया कि भारत भर में आंगनवाड़ी में नामांकित पांच साल से कम आयु के एक तिहाई से अधिक बच्चे बौने पाए गए हैं। उच्च सदन को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने बताया कि पांच साल तक की आयु के 7.54 करोड़ बच्चे आंगनवाड़ी में नामांकित हैं और पोषण ट्रैकर पर रजिस्टर्ड हैं।

बच्चों के बौने होने का क्या है कारण?

उन्होंने बताया कि इनमें से 7.31 करोड़ बच्चों का विकास मापदंडों के लिए मापन किया गया और निष्कर्ष बताते हैं कि 38.9 प्रतिशत बच्चे बौने हैं, 17 प्रतिशत बच्चे कम वजन वाले हैं और 5.2 प्रतिशत बच्चे कमजोर हैं। उन्होंने बताया कि बौनापन, कमजोर होना और कम वजन सभी कुपोषण के प्रकार हैं, जो किसी व्यक्ति की ऊर्जा या पोषक तत्व के सेवन में असंतुलन के कारण होता है। 2021 में छह साल तक के बच्चों की अनुमानित 16.1 करोड़ आबादी में से 8.82 करोड़ बच्चे आंगनवाड़ी में नामांकित हैं।

37% बच्चे अविकसित, 17% कम वजन के

गुरुवार को जारी मंत्रालय के जवाब के अनुसार, इस समूह के 8.55 करोड़ बच्चों के माप से पता चलता है कि 37 प्रतिशत अविकसित हैं, जबकि 17 प्रतिशत कम वजन के हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का पोषण ट्रैकर एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसका उद्देश्य पोषण संबंधी परिणामों की निगरानी करना और आंगनवाड़ी केंद्रों पर सेवाओं की आपूर्ति पर नज़र रखना है। यदि किसी बच्चे की लंबाई उसकी उम्र के लिए अनुशंसित स्तर से कम है तो उसे अविकसित माना जाता है। यदि किसी बच्चे का वजन उसकी ऊंचाई के लिए अनुशंसित स्तर से कम है तो उसे कमजोर माना जाता है जबकि यदि किसी बच्चे का वजन उसकी उम्र के लिए अनुशंसित स्तर से कम है तो उसे कम वजन का माना जाता है। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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