A
Hindi News भारत राष्ट्रीय 3 टन 'मांगुर' मछली को जिंदा दफन किया गया, 12 लाख रुपए से ज्यादा थी कीमत, जानें वजह

3 टन 'मांगुर' मछली को जिंदा दफन किया गया, 12 लाख रुपए से ज्यादा थी कीमत, जानें वजह

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले की शेगांव सिटी पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है और 3 टन मांगुर मछली को जब्त कर उसे नष्ट किया है। इस मछली की कीमत 12 लाख रुपए से ज्यादा निकली है।

mangur fish- India TV Hindi Image Source : INDIA TV 'मांगुर' मछली

शेगांव: महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले की शेगांव सिटी पुलिस ने 3 टन मांगुर मछली जब्त की है और 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस प्रतिबंधित मछली की तस्करी करने के आरोप में 8 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इन 3 टन मछलियों को जिंदा ही दफन किया गया है, जिसकी कीमत 12 लाख 40 हजार रुपए आंकी गई है। दरअसल शेंगाव शहर पुलिस ने यह कार्रवाई कल रात की है क्योंकि प्रशिक्षु उपविभागीय पुलिस अधिकारी विवेक पाटिल को मांगुर मछली की अवैध तस्करी की जानकारी मिली थी।

मांगुर मछली को नगर निगम के डंपिंग में नष्ट किया गया

आज मत्स्य विभाग, पुलिस, प्रशासन और राजस्व विभाग ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए मांगुर मछली को नष्ट किया। दरअसल गुरुवार की रात प्रशिक्षु उपविभागीय पुलिस अधिकारी विवेक पाटिल को मांगुर मछली की अवैध तस्करी की जानकारी मिली थी, जिसके बाद जाल बिछाकर जलगांव खानदेश से आंध्र प्रदेश जा रहे एक टाटा आशेर ट्रक (एमएच 40 सीडी 9030) को सीमा के भीतर पाया गया।

शेगांव सिटी पुलिस स्टेशन ने जब ट्रक की जांच की तो उसमें जीवित मछली पाई गई, जो प्रतिबंधित मांगुर मछली निकली। पुलिस ने इसकी जानकारी मत्स्य विभाग बुलढाणा को दी, जिसके बाद निरीक्षण और पंचनामा के बाद 3 टन जिंदा मांगुर मछली को नगर निगम के डंपिंग में नष्ट कर दिया गया। 

कितनी थी कीमत

इन मछलियों में करीब ढाई लाख रुपए कीमत की तीन टन वजनी मछली समेत 12 लाख 40 हजार का सामान और टाटा आयशर कंपनी का एक मालवाहक ट्रक जब्त किया गया। भारत में थाई फिश मांगुर को पालने पर प्रतिबंध है क्योंकि यह अन्य मछलियों को खा जाती है। इससे भारत में मत्स्य पालन प्रभावित हो रहा था, इसलिए साल 2000 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इसे पालने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

एक रिसर्च में भारत की मूल मछली की प्रजातियों की आबादी 70 फीसदी तक घटने के लिए इसे जिम्मेदार बताया गया था। रिसर्च में दावा किया गया था कि ये मछली जलीय इकोसिस्टम पर नकारात्मक असर लाती है। इसके अलावा मत्स्य पालन करने वाले पालक उनकी आबादी को बढ़ाने के लिए सड़ा-गला मांस खिलाते थे। जिससे पानी दूषित होने के बाद इसका बुरा असर दूसरी मछलियों पर भी पड़ता था।

ये भी पढ़ें: 

अंडमान द्वीप समूह में भूकंप के झटके, रिक्टर पैमाने पर मापी गई 5.8 तीव्रता

अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा शकील गैंग का शूटर गिरफ्तार, 25 साल बाद मिली कामयाबी

 

Latest India News