नई दिल्ली: संगम के तट पर आयोजित होने वाले महाकुंभ-2025 से पहले संत समाज से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने अखाड़े से 13 संतों और महामंडलेश्वरों को निष्कासित कर दिया है। बता दें कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद लगातार ऐसे साधु-संतों को चिह्नित करने में जुटा रहता है, जो धार्मिक कार्यों के बजाय धनार्जन और अन्य दूसरी गतिविधियों में लिप्त होते हैं। अखाड़ों की आंतरिक जांच में तमाम संत खरे नहीं उतर सके और यही वजह है कि 13 संतों पर कठोर कार्रवाई करते हुए उन्हें इस व्यवस्था से निष्कासित कर दिया गया है।
100 से ज्यादा और संतों से मांगा गया जवाब
अखाड़ा परिषद की आंतरिक जांच में इन संतों की कार्यप्रणाली सनातन धर्म और अखाड़े की रीति-नीति के विपरीत मिली थी। बताया जा रहा है कि जिन संतों पर कार्रवाई हुई है उनमें कुछ महामंडलेश्वर भी शामिल हैं। इसके अलावा 100 से ज्यादा संत ऐसे भी हैं जिन्हें नोटिस जारी करके 30 सितंबर तक जवाब देने को कहा गया है। अगर इन संतों की तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो उन्हें भी अखाड़े से निष्कासित किया जा सकता है। जो संत अखाड़े से निष्कासित किए जाएंगे उन्हें 2025 में होने वाले महाकुंभ में प्रवेश नहीं मिलेगा।
जांच में किस तरह की गड़बड़ी सामने आई?
अखाड़ा परिषद की जांच में निष्कासित किए गए अधिकांश संत धार्मिक अनुष्ठान, गुरुकुल की गतिविधियां बढ़ाने के बजाय धनार्जन में लिप्त मिले। इसके साथ ही कुछ संतों के आपराधिक लोगों से संबंध सामने आए। वहीं, जांच में यह भी पता चला कि कुछ महामंडलेश्वरों ने दूसरों को संन्यास दिलाकर महामंडलेश्वर बनाने के लिए पैसा लिया। बता दें कि मौजूदा समय में 13 अखाड़े हैं, जिन्हें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के माध्यम से संगठित किया गया है। अखाड़े से जुड़े संतों में कोई दोष न आए, इसके लिए समय-समय पर सभी अखाड़े अपने महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, महंत और श्रीमहंतों की कार्यप्रणाली की गोपनीय जांच करवाते हैं।
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