जम्मू कश्मीर के वैष्णो देवी मंदिर में 1 जनवरी यानी शनिवार की सुबह भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे। इस घटना की जांच के लिए गठित 3 सदस्यीय समिति को एक सप्ताह के भीतर जम्मू-कश्मीर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। जानकारी के अनुसार, ये घटना तड़के सुबह 2 बजकर 45 मिनट पर हुई थी। घटना के बाद कुछ समय के लिए यात्रा को रोक दिया गया था, लेकिन बाद में यात्रा सुचारू रूप से शुरू हो गई थी।
एक चश्मदीद ने घटना के दौरान का दर्दनाक मंजर बयां किया है। चश्मदीद ने न्यूज़ एजेंसी ANI को बताया था, 'मेरे साथ दो लोग थे। इसमें एक की मौत हो गई है जबकि दूसरे की हड्डी टूट गई है। उन्हें करीब एक घंटे बाद होश आया तो उनका फोन लगा और उनसे बात हो पाई। मैं उस दौरान मौके पर ही था। मेरे साथ मेरी पत्नी भी मौजूद थीं। ऊपर से शवों को नीचे लाने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल माता वैष्णो देवी भवन क्षेत्र में कुछ लोग दर्शन करके वहीं रुक गए, जिसके बाद वहां बहुत सारे लोग इकट्ठा हो गए।'
चश्मदीद ने आगे बताया, 'लोगों के इकट्ठा होने से भवन क्षेत्र में मास गैदरिंग हो गई थी और लोगों को निकलने की जगह भी नहीं मिल पा रही थी।' जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से जारी एक आदेश में, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव मनोज कुमार द्विवेदी ने कहा कि इस दुखद घटना के कारणों का पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। समिति के अन्य 2 सदस्य जम्मू संभागीय आयुक्त राघव लंगर और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, जम्मू मुकेश सिंह हैं।
आदेश में कहा गया है, ‘समिति घटना (भगदड़) के कारणों की विस्तार से जांच करेगी और खामियों को बताएगी और इसकी जिम्मेदारी तय करेगी।’ इसमें कहा गया है कि समिति एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उचित मानक संचालन प्रक्रियाओं और उपायों का सुझाव देगी। जम्मू-कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर में मची भगदड़ में जीवित बचे कुछ लोगों ने बताया था कि नव वर्ष के आगमन पर यहां अचानक बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने से भगदड़ मची और उन्होंने इस त्रासदीपूर्ण घटना के लिए ‘‘कुप्रबंधन’’ को दोषी ठहराया।
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