नयी दिल्ली: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के जवानों को साल में कम से कम 100 दिन अपने परिवारों के साथ समय बिताने की अनुमति देने संबंधी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लाये गये महत्वाकांक्षी प्रस्ताव को शीघ्र लागू किये जाने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि इस व्यापक नीति की रूपरेखा पर काम किया जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस सिलसिले में कई बैठकें की हैं और हालिया बैठक इस महीने की शुरुआत में हुई थी, ताकि नीति के क्रियान्वयन में विलंब करने वाले मुद्दे का हल किया जा सके।
इस नीति का उद्देश्य सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण पर्यावरणीय परिस्थितियों में और दूरदराज के स्थानों पर कड़ी ड्यूटी करने वाले सीएपीएफ के करीब 10 लाख जवानों एवं अधिकारियों के कामकाज से जुड़े तनाव को घटाना और उनकी खुशहाली बढ़ाना है। सीएपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल को अपने प्रस्ताव में तेजी लाने को कहा गया है। कल्याणकारी उपायों को लागू करने के तौर तरीकों पर गृह मंत्रालय (MHA) के अगले महीने एक अंतिम निर्णय करने की उम्मीद है। ’’
अधिकारी ने कहा कि 2020 की शुरुआत से कोविड-19 महामारी का फैलना इसमें कुछ विलंब होने का कारण रहा होगा। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक कुलदीप सिंह ने हाल में मीडिया से बातचीत में कहा था, ‘‘बल अपने कर्मियों को साल में 60-65 दिन का अवकाश दे सकता है लेकिन यदि 15 दिन से लेकर 28-30 दिनों के आकस्मिक अवकाश (सीएल) देने का प्रावधान किया जाता है तो जवानों को 100 दिनों का अवकाश मिल सकता है।’’
उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले गृह मंत्रालय ने उनसे कुछ स्पष्टीकरण भी मांगा था। उन्होंने कहा, ‘‘वह (गृह मंत्रालय) अन्य विभिन्न संगठनों पर भी गौर कर रहा है, अन्य सरकारी संगठन भी इस तरह की मांग कर सकते हैं। इसलिए व्यापक रूप से विचार विमर्श किया जा रहा है। ’ शाह अक्टूबर 2019 में यह प्रस्ताव लेकर आए थे।
सीएपीएफ में सीआरपीएफ, सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल(सीआईएसएफ) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) आते हैं। वहीं, असम राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) जैसे तीन अन्य केंद्रीय बलों को भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना में शामिल किया जा सकता है।
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