Zydus Cadila को COVID-19 वैक्सीन के I/II क्लिनिकल ट्रायल के लिए मिली अनुमति
Zydus Cadila को COVID-19 वैक्सीन के I/II क्लिनिकल ट्रायल के लिए अनुमति आज विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद तेजी से प्रतिक्रिया के रूप में दी गई। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी इसकी जानकारी दी है।
नई दिल्ली: Zydus Cadila को COVID-19 वैक्सीन के I/II क्लिनिकल ट्रायल के लिए अनुमति आज विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद तेजी से प्रतिक्रिया के रूप में दी गई। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी इसकी जानकारी दी है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने बृहस्पतिवार को एक 'ड्रग डिस्कवरी हैकाथन' परियोजना शुरू की और छात्रों और अनुसंधानकर्ताओं को इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया, जिसका उद्देश्य कोविड-19 की दवा विकसित करना है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि यह हैकाथन अपनी तरह की पहली राष्ट्रीय पहल है, जो दवा की खोज की प्रक्रिया में सहायता प्रदान करने के लिए शुरू की गयी है। इसमें कंप्यूटर विज्ञान, रसायन विज्ञान, फार्मेसी, चिकित्सा विज्ञान, बुनियादी विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवर, शिक्षक, शोधकर्ता और छात्र भाग लेंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नवाचार प्रकोष्ठ (एमआईसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा संयुक्त रूप से यह पहल की जा रही है। यह सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सीडीएसी), मायगव के साथ-साथ निजी कंपनियां द्वारा भी समर्थित है। इस अभ्यास में जो चुनौतियाँ शामिल होती हैं उन्हें समस्या विवरण (समस्या जिसका हल किया जाना है) के रूप में पोस्ट किया जाता है और विशिष्ट दवा खोज से संबंधित विषयों पर आधारित होती हैं, जिनका समाधान प्रतिभागियों को करना होता है। कुल 29 समस्या विवरण (पीएस) की पहचान की गई है।
हैकाथन में दुनिया भर के पेशेवर और शोधकर्ता भाग ले सकते हैं, जिसमें तीन ट्रैक होंगे। पहला ट्रैक मुख्य रूप से दवा के प्रारूप पर काम करेगा। दूसरा ट्रैक डिजाइनिंग, नए उपकरणों को अनुकूलित करने और एल्गोरिदम पर काम करेगा, जिसका दवा की खोज की प्रक्रिया को तेज करने पर व्यापक प्रभाव होगा। ‘‘मून शॉट’’ नामक एक तीसरा ट्रैक भी है, जो उन समस्याओं पर काम करने की अनुमति देता है जो प्रकृति में सबसे अलग हैं। पूरी कवायद अगले साल अप्रैल-मई तक पूरी होनी है। ‘अभिकलनात्मक आधार पर दवा की खोज’ दवा की खोज और उसकी विकास प्रक्रिया को तेज और किफायती बनाने की एक रणनीति है।
इस परियोजना के उद्घाटन कार्यक्रम में हर्षवर्धन ने कहा ‘‘इस पहल में, एमएचआरडी के नवाचार प्रकोष्ठ और एआईसीटीई हैकाथन के माध्यम से संभावित दवा अणुओं की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जबकि सीएसआईआर इन पहचान किए गए अणुओं को प्रभावकारिता, विषाक्तता, संवेदनशीलता और विशिष्टता के पैमाने पर संश्लेषण और प्रयोगशाला परीक्षण के लिए आगे ले जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि दवा की खोज एक जटिल, महंगी, कठिन और समय लेने वाली प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के लिए कुछ दवाओं के नैदानिक परीक्षण चल रहे हैं, जबकि इस समय हमें कोविड-19 के खिलाफ विशिष्ट दवाओं को विकसित करने के लिए नई दवा की खोज पर काम करना जारी रखना है।
इस मौके पर निशंक ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) और एआईसीटीई को हैकाथन के आयोजन का बहुत बड़ा अनुभव है, लेकिन पहली बार यह एक बड़ी वैज्ञानिक चुनौती से निपटने के लिए हैकाथन मॉडल का उपयोग कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह पहल दुनिया भर के शोधकर्ताओं, शिक्षकों के लिए खुली है। हम अपने प्रयासों में शामिल होने और सहायता करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए उत्सुक हैं।’’ सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के विजय राघवन ने कहा कि हैकाथन भारत को दवा की खोज प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए एक नया मॉडल स्थापित करने में मदद करेगी।