नई दिल्ली: बचपन मासूमियत और अल्हड़पन का उत्सव होता है। इस उम्र में नौनिहाल बड़ी ही बेफिक्री के साथ सब कुछ झेल जाते हैं ... दर्द के पतझड़ भी और खुशी का बसंत भी। उम्मीद की फुहारे भी इस उम्र में कभी कम नहीं होती। दरअसल सच बात यह है कि हर बच्चों में कुछ अलग करने की चाह होती है, फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब यह बात सच है कि किसी के इच्छाओं पर किसी का बस नहीं चलता है। कभी खुशी तो कभी गम का सीन इन बच्चों के चेहरे पर हमेशा ही दिखता है लेकिन इनकी आंखो में कभी भी उम्मीद की किरण कम नहीं होती। इस बात को फोटो ग्राफर ''सुधांशु केसरवानी'' ने अपने कैमरे से इन तस्वीरों के जरिए बखूबी दर्शाया है। आइए दिखाते हैं ऐसी तस्वीरें जिसे देख मिट्टी में खेलता हुआ आपको अपना बचपन याद आ जाएगा।
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