नई दिल्ली: 8 जून को हर साल विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day) मनाया जाता है। इसे पहली बार 1992 में कनाडा की सरकार प्रस्ताव किया गया था लेकिन यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली ने दिसंबर 2008 में इसे मंजूरी दी। तभी से UN द्वारा हर साल 8 जून को पूरे विश्व में विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day) मनाया जाता है। इस बार की थीम है- 'टुगेदर वी कैन प्रोटेक्ट एंड रिस्टोर आवर ओसियन' मतलब एक साथ होकर हम महासागरों को सुरक्षित रख सकते हैं।
विश्व महासागर दिवस के मौके पर आज विश्व भर में समुद्र तट की सफाई और समुद्र को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों को राकने के लिए मार्च निकाला जाएगा। आयोजकों के अनुसार, सुमद्र अधिकांश ऑक्सीजन, भोजन और हवा प्रदान करते हैं और हमारी जलवायु को स्थिर रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा समुद्र के अंदर की एक अलग ही दुनिया है। ये व्हेल मछली और अन्य जीवों जैसे अद्भुत जानवरों और पारिस्थितिक तंत्र के लिए घर हैं।
लेकिन, आज दुनिया का समुद्री वातावरण खतरे में है। रिपोर्ट्स के मुताबिक समुद्री प्लास्टिक में काफी वृद्धि हुई है। करीब आठ मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक हर साल दुनिया के महासागरों में जाता है। समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण से समुद्री ऑक्सीजन के उत्पादन को खतरा है। ब्रिटेन सरकार के अनुसार, समुद्र में तैरने वाले प्लास्टिक एक मिलियन पक्षियों और हर साल एक लाख से अधिक समुद्री जीवों को मारते हैं।
वहीं, महासागरों और उनमें मौजूद जीवों के लिए जलवायु परिवर्तन से भी खतरा पैदा हो रहा है। मार्च में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि बढ़ते समुद्र के तापमान में पहले से ही मछलीयों की आबादी कम हो रही है। रटगर्स विश्वविद्यालय के नेतृत्व वाली टीम ने पाया कि 80 वर्षों में मछलियों की आबादी में औसतन 4.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। 1930 से 2010 के बीच 1.4 मिलियन मीट्रिक टन मछली खो चुकी हैं। ऐसी स्थिति में हमारा सबका फर्ज है कि समुद्र को और उसके वातावरण को बचाया जाए।
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