औरंगाबाद: तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने शनिवार को कहा कि दुनिया को अहिंसा और अनुकम्पा के प्राचीन भारतीय मूल्यों की जरूरत है। दलाई लामा महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में तीन दिवसीय वैश्विक बौद्ध धर्मसभा के मद्देनजर पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अहिंसा और अनुकम्पा भारत में कई धर्मों के लोगों को शांति और परस्पर सम्मान के साथ रहने में मदद कर रहे हैं।
दलाई लामा ने कहा, ‘‘हम हर जगह संघर्ष देख सकते हैं। जब भी मैं ऐसे संघर्षों के बारे में सुनता हूं तो मुझे तकलीफ होती है। इस वक्त दुनिया शांति से रह सकती है अगर वे अनुकम्पा और अहिंसा के मूल्यों का पालन करे।’’
वैचारिक मतभेदों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ये दार्शनिक मतभेद हैं लेकिन शांतिपूर्वक जीने के लिए सहिष्णुता की आवश्यकता है। अगर समुदाय खुश है तो व्यक्ति भी खुश होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं हमेशा अपने आप को भारत का बेटा कहता हूं। चीन के पत्रकार इसे लेकर मुझ पर सवाल उठाते हैं। मैं कहता हूं कि हालांकि मैं शारीरिक रूप से तिब्बती हूं लेकिन मैंने अपने जीवन के 60 साल भारत में बिताए हैं।’’
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