नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला को पति से मिलने वाले गुजारा भत्ता पर रोक लगाने का आदेश दिया है , जिसने स्कूल टीचर की अपनी सरकारी नौकरी के बारे में छिपाया और खुद को बेरोजगार बताया था। महिला के पति द्वारा उसे प्रतिमाह 15,000 रूपये का गुजारा भत्ता दिया जाता था। विशेष न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने महिला की अपील ठुकरा दी जिसमें उसने गुजारा भत्ता की राशि बढ़ाने की मांग की थी।
इसके साथ ही उसके पति की अपील को स्वीकार किया जिसमें उसने वर्ष 2009 के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को रद्द करने की मांग की थी। मजिस्ट्रेट अदालत ने महिला को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। न्यायाधीश ने कहा , ‘‘ यहां गौर करने की बात है कि महिला ने निचली अदालत से बहुत ही चतुराई और आसानी से सरकारी टीचर के रूप में अपनी नौकरी की बात छिपाई और दबाकर रखी। ’’
महिला ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की रक्षा कानून के तहत अपने पति और उनके तीन भाईयों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। निचली अदालत ने 24 सितंबर 2009 को महिला के पति को निर्देश दिया था कि गुजारा भत्ता के रूप में वह हर महीने महिला को 15,000 रूपये दिया करे।
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