नई दिल्ली। तीनों नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को लेकर जल्द बड़ा फैसला लिया जा सकता है। पंजाब के 32 किसान संगठन सिंघु बॉर्डर पर बैठक की। पंजाब के किसान नेताओं ने कहा कि संसद में कृषि कानून निरस्त करने वाला विधेयक पारित होना हमारी जीत, भविष्य के कदमों पर चर्चा के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक 1 दिसंबर को होगी। किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस लिये जाने चाहिए, एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी दी जाए, मांगों का जवाब देने के लिए केंद्र को 30 नवंबर तक का समय दिया गया है।
बता दें कि, सोमवार को संसद में तीनों कृषि कानून रद्द कर दिए गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 1 दिसंबर (बुधवार) को इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को कहा कि तीनों कृषि कानून रद्द हो चुके हैं, लोग बड़े होते हैं, हुकूमत नहीं। हमने 1 तारीख को SKM की मीटिंग बुलाई है, ये इमरजेंसी मीटिंग है। 1 तारीख तक आंदोलन जारी रहेगा, सरकार किसानों पर लगे मुकदमे वापस ले।
जानकारी के मुताबिक, किसान संगठनों की 4 दिसंबर को होने वाली अहम बैठक अब 1 दिसंबर को होगी। किसान नेताओं ने सरकार को एक दिन की डेडलाइन देते हुए कहा कि सरकार किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए सभी केस वापस ले। विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक का ड्राफ्ट वापस हो। लखीमपुर केस में अजय मिश्रा को बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए। किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए 700 किसानों के परिवारों को मुआवजा मिले और सिंघु बॉर्डर पर मेमोरियल बने।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक साल से आंदोलनरत पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद भी आंदोलन कर रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि सरकार फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगे पूरी करे।
सरकार जहां बुलाएगी हम वहां बात करने जाएंगे- राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को कहा कि ये काला क़ानून एक बिमारी थी, जितना जल्दी कट गई उतनी जल्दी ठीक है। अब इस बिल पर राष्ट्रपति की मोहर लग जाएगी तो यह ख़त्म हो जाएगा। सरकार जहां बुलाएगी हम वहां बात करने जाएंगे।
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