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Hindi News भारत राष्ट्रीय यहां जलती चिताओं के पास आखिर क्यों पूरी रात नाचती हैं सेक्स वर्कर?

यहां जलती चिताओं के पास आखिर क्यों पूरी रात नाचती हैं सेक्स वर्कर?

जहां लाशों का आना और चिता का जलना कभी नहीं थमता, वहीं अगर उसी चिता के करीब कोई महफिल सजा बैठे और शुरू हो जाए श्मशान में डांस तो उसे आप क्या कहेंगे?

Manikarnika ghat

दरअसल चिताओं के करीब नाच रहीं लड़कियां शहर की बदनाम गलियों की नगर वधु होती हैं। कल की नगरवधु यानी आज की तवायफ। पर इन्हें ना तो यहां जबरन लाया जाता है ना ही इन्हें इन्हे पैसों के दम पर बुलाया जाता है।

काशी के जिस मणिकर्णिका घाट पर मौत के बाद मोक्ष की तलाश में मुर्दों को लाया जाता है वहीं पर ये तमाम नगरवधुएं जीते जी मोक्ष हासिल करने आती हैं। वो मोक्ष जो इन्हें अगले जन्म में नगरवधू ना बनने का यकीन दिलाता है। इन्हें यकीन है कि अगर इस एक रात ये जी भरके यूं ही नाचेंगी तो फिर अगले जन्म में इन्हें नगरवधू का कलंक नहीं झेलना पड़ेगा।

इनके लिए जीते जी मोक्ष पाने की मोहलत बस यही एक रात देता है। साल में एक बार ये मौका आता है चैत्र नवरात्र के आठवें दिन। और इस दिन श्मशान के बगल में मौजूद शिव मंदिर में शहर की तमाम नगरवधुएं इकट्ठा होती हैं और फिर भगवान के सामने जी भरके नाचती हैं। यहां आने वाली तमाम नगरवधुएं अपने आपको बेहद खुशनसीब मानती हैं।

लेकिन काशी के इस घाट पर ये सबकुछ अचानक यूं ही नहीं शुरू हो गया। बल्कि इसके पीछे एक बेहद पुरानी परंपरा है। जो जितनी हैरान करने वाली है उससे कहीं ज्यादा परेशान करने वाली।

अगले स्लाइड में क्या है वह सैकड़ों साल पुरानी परंपरा.....

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