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क्या श्राप किले को बना रहा खंडहर

रांची: आपने कई किलों के खंडहर में तब्दील होने की कहानी सुनी और देखी भी होगी, लेकिन प्रतिवर्ष आकाशीय बिजली गिरने से एक किले को तबाह होते कभी नहीं देखा होगा। यह हकीकत है। झारखंड

उन्होंने बताया कि वर्ष 1831 में सिंदराय और बिंदराय के नेतृत्व में आदिवासियों ने आंदोलन किया था, लेकिन यहां की भौगोलिक परिस्तिथियों से अनजान अंग्रेज, विद्रोह को दबा नहीं पा रहे थे। ऐसे में अंग्रेज अधिकारी विलकिंग्सन ने राजा जगतपाल सिंह के पास सहायता का संदेश भिजवाया, जिसे उसने स्वीकार करते हुए अंग्रेजों की मदद की। उनकी इस मदद के बदले तत्कालीन गवर्नर जनरल विलियम वैंटिक ने उन्हें 313 रुपये प्रतिमाह आजीवन पेंशन दी।

इतिहासकारों के मुताबिक, 1857 के दौरान भी उसने अंग्रेजों का साथ दिया था।

स्थानीय बुजुर्ग कहते हैं कि जगतपाल सिंह की गवाही के कारण ही झारखंड के क्रांतिकारी ठाकुर विश्वनाथ नाथ शाहदेव को फांसी दी गई थी।

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