आखिर क्यों दाह संस्कार की जगह दफनाई गईं जयललिता, जानिए वजह
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का दाह संस्कार नहीं हुआ बल्कि उन्हें दफनाया गया। जन्म से ब्राह्मण और माथे पर अक्सर आयंगर नमम (एक प्रकार का तिलक) लगाने वाली जयललिता को मरीना बीच पर दफनाया गया।
नई दिल्ली: तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का दाह संस्कार नहीं हुआ बल्कि उन्हें दफनाया गया। जन्म से ब्राह्मण और माथे पर अक्सर आयंगर नमम (एक प्रकार का तिलक) लगाने वाली जयललिता को मरीना बीच पर दफनाया गया।
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बता दें कि आयंगर ब्राह्मणों में दाह संस्कार की प्रथा है लेकिन इसके बावजूद तमिलनाडु सरकार और शशिकला ने उनको दफनाने का फैसला लिया। जयललिता का अंतिम संस्कार मरीना बीच पर संपन्न हुआ। लाखों लोगों की मौजूदगी के बीच उन्हें एमजी रामचंद्रन की समाधि के बगल में दफनाया गया।
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दिवंगत मुख्यमंत्री के अंतिम संस्कार से जुड़े एक वरिष्ठ सरकारी सचिव ने बताया, ‘वह हमारे लिए आयंगर नहीं थीं। वह किसी जाति और धार्मिक पहचान से परे थीं। यहां तक कि पेरियार, अन्ना दुरई और एमजीआर जैसे ज्यादातर द्रविड़ नेता दफनाए गए थे और हमारे पास उनके शरीर का दाह-संस्कार करने की कोई मिसाल नहीं है। तो, हम उन्हें चंदन और गुलाब जल के साथ दफनाते हैं।’
'किसी जाति और धार्मिक पहचान से परे थीं जयललिता'
जयललिता के संबंध में भी यही तर्क दिया गया कि वह किसी जाति और धार्मिक पहचान से परे थीं। इसके अलावा एक बड़ी वजह यह है कि इस तरह के बड़े नेताओं को दफनाए जाने के बाद समाधि बनाए जाने का चलन है। पूर्व नेताओं को दफनाए जाने से समर्थकों को एक स्मारक के रूप में अपने नेताओं को याद रखने में सहायता मिलती है।
दीपा को नहीं मिलने दिया अपनी बुआ जयललिता से
हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि दफनाए जाने का एक कारण ये भी हो सकता है कि दाह संस्कार के लिए एक सगे रिश्तेदार का होना जरुरी है। और जयललिता की सगी सिर्फ उनकी भतीजी दीपा जयाकुमार हैं जो उनके स्वर्गवासी भाई की बेटी हैं। लेकिन शशिकला के रहते हुए दीपा का अंतिम संस्कार में शामिल होना बेहद मुश्किल था क्योंकि इससे शशिकला को चुनौती मिलती।
ब्रिटेन में पढ़ाई कर रहीं दीपा को अपोलो अस्पताल में अपनी बुआ जयललिता से मिलने तक नहीं दिया गया था, जबकि वह कई बार उन्हें देखने अस्पताल गई थीं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से दीपा और उनके पति को मीडिया से दूर रखने के निर्देश दिए गए थे।