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आखिर क्यों दिल्ली में बार-बार आते हैं भूकंप? जानिए क्या कहते हैं रिसर्चर्स

पिछले डेढ़ महीने में दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 11 बार भूकंप के झटके लग चुके हैं। लगातार आ रहे भूकंप के पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वक्त में यह एनसीआर के लिए बड़े खतरे का संकेत है।

Why Delhi experiences so many tremors, what that means?- India TV Hindi Image Source : PTI Why Delhi experiences so many tremors, what that means?

नई दिल्ली: पिछले डेढ़ महीने में दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 11 बार भूकंप के झटके लग चुके हैं। लगातार आ रहे भूकंप के पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वक्त में यह एनसीआर के लिए बड़े खतरे का संकेत है। लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। बताया जा रहा है कि दिल्ली-एनसीआर में धरती के अंदर प्लेटों के एक्टिव होने से ऊर्जा निकल रही है, जिससे रह-रहकर झटके महसूस हो रहे हैं। देश के 12 प्रतिशत इलाके भूकंप की दृष्टि से अत्यंत गंभीर आशंका वाले श्रेणी 5 में आते हैं जबकि 18 प्रतिशत क्षेत्र गंभीर आशंका वाले श्रेणी 4 में हैं।

उन्हीं में से एक है देश की राजधानी दिल्ली जो भूकंपीय क्षेत्रों के जोन 4 में स्थित है। इस जोन में रिक्टर पैमाने पर सात से आठ तीव्रता का भूकंप आने की आशंका रहती है। दिल्ली-एनसीआर भूकंप के लिहाज से प्रबल खतरे वाले जोन हैं। जोन-4 में होने की वजह से दिल्ली भूकंप का एक भी भारी झटका बर्दाश्त नहीं कर सकती। दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। 

दिल्ली हिमालय के निकट है जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था। धरती के भीतर की इन प्लेटों में होने वाली हलचल की वजह से दिल्ली कानपुर और लखनऊ जैसे इलाकों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है। दिल्ली के पास सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद तीन फॉल्ट लाइन मौजूद हैं जिसके चलते भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। दिल्ली रिज क्षेत्र कम खतरे वाला क्षेत्र है वहीं मध्यम खतरे वाले क्षेत्र हैं दक्षिण पश्चिम, उत्तर पश्चिम और पश्चिमी इलाका। सबसे ज्यादा खतरे वाले क्षेत्र हैं उत्तर पूर्वी क्षेत्र।

Image Source : NASAThe Himalayan arc, as photographed by the NASA Landsat 7 satellite

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र को यूरोप के आल्पस पवर्तीय क्षेत्र की तुलना में अधिक भूस्खलन का सामना करना पड़ता है क्योंकि हिमालय तुलनात्मक दृष्टि से अपरिपक्व, युवा तथा भू परिस्थितिकी एवं जलवायु की दृष्टि से संवेदनशील प्रकृति का पर्वत है।

भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआई) भूस्खलन का अध्ययन करने वाली शीर्ष संस्था है और यह भूस्खलन के संबंध में आपदा से पूर्व और इसके बाद दोनों तरह का अध्ययन करती है। आपदा से पूर्व अध्ययन के तहत जीएसआई भूस्खलन की आशंका का नक्शा तैयार करता है ताकि उन क्षेत्रों की पहचान की जा सके जहां ढ़लान टूटने की आशंका हो।

भूकंप आने पर क्‍या करें, क्या न करें
भूकंप जैसी आपदा के समय थोड़ी सतर्कता और हिम्मत से जान-माल का नुकसान कम किया जा सकता है। भूकंप आने पर...

  • भूकंप आने पर फौरन घर, स्कूल या दफ़्तर से निकलकर खुले मैदान में जाएं। बड़ी बिल्डिंग्स, पेड़ों, बिजली के खंबों आदि से दूर रहें।
  • बाहर जाने के लिए लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
  • कहीं फंस गए हों तो दौड़ें नहीं। इससे भूकंप का ज्यादा असर होगा।
  • भूकंप आने पर खिड़की, अलमारी, पंखे, ऊपर रखे भारी सामान से दूर हट जाएं ताकि इनके गिरने और शीशे टूटने से चोट न लगे।
  • अगर आप बाहर नहीं निकल पाते तो टेबल, बेड, डेस्क जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे घुस जाएं और उसके लेग्स कसकर पकड़ लें ताकि झटकों से वह खिसके नहीं।
  • कोई मजबूत चीज न हो, तो किसी मजबूत दीवार से सटकर शरीर के नाजुक हिस्से जैसे सिर, हाथ आदि को मोटी किताब या किसी मजबूत चीज़ से ढककर घुटने के बल टेक लगाकर बैठ जाएं।
  • खुलते-बंद होते दरवाजे के पास खड़े न हों, वरना चेाट लग सकती है।
  • गाड़ी में हैं तो बिल्डिंग, होर्डिंग्स, खंबों, फ्लाईओवर, पुल आदि से दूर सड़क के किनारे या खुले में गाड़ी रोक लें और भूकंप रुकने तक इंतजार करें।

जानिए रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता जब इतनी हो, तो उसका क्या होता है असर:

  • 0 से 1.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।
  • 2 से 2.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है।
  • 3 से 3.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर होता है।
  • 4 से 4.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।
  • 5 से 5.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर फर्नीचर हिल सकता है।
  • 6 से 6.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।
  • 7 से 7.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।
  • 8 से 8.9 रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।
  • 9 और उससे ज्यादा रिक्टर स्केल पर भूकंप आने पर पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी। भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।

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