नई दिल्ली. रविवार को प्रसिद्ध संत केशवानंद भारती का निधन हो गया। संत केशवानंद भारती श्रीपदगवरु का इदानीर मठ में उम्र संबंधी बीमारियों की वजह से 79 साल की उम्र में कासरगोड में निधन हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी ने संत केशवानंद भारती के निधन पर शोक जताया। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, "पूज्य केशवानंद भारती जी को हम उनकी सामुदायिक सेवा तथा शोषितों को सशक्त करने के उनके प्रयासों के लिए हमेशा याद रखेंगे। हमारे महान संविधान और भारत की समृद्ध संस्कृति से उनका गहरा लगाव था। वह पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। ओम शांति।"
कौन थे संत केशवानंद भारती?
संत केशवानंद भारती ने चार दशक पहले केरल भूमि सुधार कानून को चुनौती दी थी, जिसपर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत दिया और यह फैसला शीर्ष अदालत की अब तक सबसे बड़ी पीठ ने दिया था, जिसमें 13 न्यायाधीश शामिल थे।
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले पर 68 दिन तक सुनवाई हुई थी और अब तक उच्चतम न्यायालय में सबसे अधिक समय तक किसी मुकदमे पर चली सुनवाई के मामले में यह शीर्ष पर है। इस मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर 1972 को शुरू हुई और 23 मार्च 1973 को सुनवाई पूरी हुई।
भारतीय संवैधानिक कानून में इस मामले की सबसे अधिक चर्चा होती है। मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के चंद्रू से इस मामले के महत्व के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से कहा, ‘‘केशवानंद भारती मामले का महत्व इसपर आए फैसले की वजह से है जिसके मुताबिक संविधान में संशोधन किया जा सकता है लेकिन इसके मूल ढांचे में नहीं।’’
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