नई दिल्ली: साल 2019 में केंद्र में दोबारा मोदी सरकार बनने के बाद पहली बार कैबिनेट विस्तार हुआ। इस बार कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। यह उनके लिए ईनाम की तरह है। क्योंकि, उन्होंने मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने में काफी मदद की। वह मार्च 2020 में कांग्रेस से अपने समर्थक विधायकों को लेकर भाजपा में शामिल हुए थे, जिसके बाद ही फिर से राज्य में भाजपा की सरकार बन सकी।
कौन हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया? - ग्वालियर के राजघराने से संबंध रखते हैं। उनके पिता माधवराव सिंधिया थे।
- 2001 में पिता के निधन के तीन महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में शामिल हो गए।
- पिता की मौत के बाद खाली हुई गुना लोकसभा सीट से 2002 में चुनाव जीता।
- उसके बाद 2004, 2009 (UPA सरकार) और 2014 में भी सांसद निर्वाचित हुए।
- 2019 लोकसभा चुनाव में अपने ही पूर्व निजी सचिव केपीएस यादव से हारे।
- कम्युनिकेशन, कॉमर्स, पावर और इंडस्ट्री जैसे मंत्रालयों का अनुभव है।
- 2007 में उन्हें संचार और सूचना तकनीक मामलों का मंत्री बनाया गया।
- 2009 में वे वाणिज्य व उद्योग मामलों के राज्य मंत्री बने
- 2014 में ऊर्जा मंत्री बने।
- मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए, जिसके बाद फिर से एमपी में भाजपा की सरकार बन सकी।
सिंधिया ने लंबा इंतजार किया
सिंधिया ने जिस दिन कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी, उसी दिन से माना जा रहा था कि वह मोदी सरकार में मंत्री बनेंगे। हालांकि, सिंधिया को बहुत पहले मंत्री बन जाना चाहिए था लेकिन सिंधिया को लंबा इंतजार करना पड़ा। मध्य प्रदेश में सरकार बनने के तुंरत बाद कोरोना का प्रकोप छा गया। देशभर में लॉकडाउन लागू हो गया। बार-बार मंत्रिमंडल का विस्तार टलता रहा। अब पिछले हफ्ते भऱ से उनके नाम की चर्चा था। वह मंगलवार दिल्ली पहुंचे और आज मंत्री पद की शपथ ली।
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