नई दिल्ली: भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को "वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए" के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। 21 फरवरी, 1961 को जन्मे अभिजीत बनर्जी ने कलकत्ता विश्विद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय (JNU) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने 1988 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। फिलहाल वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में फोर्ड फाउंडेशन प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स है।
विकिपीडिया में दी गई जानकारी के मुताबिक अभिजीत बनर्जी का जन्म कोलकाता में निर्मला बनर्जी और दीपक बनर्जी के घर हुआ। उनकी माता कलकत्ता में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर थी और पिता दीपक बनर्जी कलकत्ता के प्रेसिडेंट कॉलेज में प्रोफेसर थे और साथ ही वह अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख भी थे।
2003 में बनर्जी ने एस्तेर डुफ्लो और सेंथिल मुलैनाथन के साथ अब्दुल लतीफ जमील गरीबी एक्शन लैब (J-PAL) की स्थापना की, और वह लैब के निदेशकों में से एक बने रहे। बनर्जी ब्यूरो ऑफ रिसर्च इन द इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट, NBER के एक रिसर्च एसोसिएट, एक सीईपीआर के रिसर्च फेलो, कील इंस्टीट्यूट के इंटरनेशनल रिसर्च फेलो, अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के पूर्व अध्यक्ष हैं।
बनर्जी इन्फोसिस पुरस्कार के विजेता रहे हैं। वह चार पुस्तकों के लेखक भी हैं, जिनमें पुअर इकोनॉमिक्स शामिल है, जिसने गोल्डमैन सैक्स बिजनेस बुक ऑफ द ईयर जीता। वह तीन और पुस्तकों के संपादक हैं और उन्होंने दो वृत्तचित्र फिल्मों का निर्देशन किया है। उन्होंने यूएन के महासचिव के पद-2015 विकास एजेंडा पर प्रख्यात व्यक्तियों के उच्च-स्तरीय पैनल में भी कार्य किया।
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