नई दिल्ली: क्यूबा में कम्यूनिस्ट क्रांति के जनक और पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का शनिवार को 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। कास्त्रो निश्चित रूप से अब तक के सबसे बड़े कम्यूनिस्ट नेताओं में से एक थे। एक बार कास्त्रो ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टी. पी. श्रीनिवासन से कहा था कि आप हमें एक हजार गोरखा सैनिक दे दें तो हम अपने पड़ोसियों को नियंत्रण में कर लेंगे।
गुरखा सैनिकों के बारे में पूछे थे कई सवाल
टीपी श्रीनिवासन ने लिखा है, ‘एक बार मैं एक अन्य भारतीय अफसर के साथ कास्त्रो के दफ्तर में गया था। वहां मैंने उनकी मेज पर गोरखा सैनिकों से जुड़ी कई किताबें देखी थीं। उन्होंने गुरखाओं के बारे में तमाम सवाल किए। वह ब्रिटिश आर्मी के उन गोरखा सैनिकों से काफी प्रभावित थे जिन्होंने फाकलैंड्स में अर्जेंटिनी सैनिकों को हराया था। उस लड़ाई में गोरखा सैनिकों ने अपनी खुकरी से कई अर्जेंटिनी सैनिकों को खत्म कर दिया था।’
तस्वीरों में: जानें, ‘अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन’ फिदेल कास्त्रो के बारे में
कास्त्रो को यह बात मालूम थी कि गोरखा सैनिक ब्रिटिश आर्मी में 200 साल से थे। उन्होंने गुरखाओं के बारे में काफी पढ़ा था। कास्त्रो ने श्रीनिवासन से कहा, ‘आप हमें एक हजार गोरखा सैनिक दे दें, हम अपने पड़ोसियों को काबू में रख लेंगे।’ कास्त्रो ने उस पड़ोसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन माना जाता है कि उनका इशारा अमेरिका की तरफ था।
जब इंदिरा गांधी के गले लगे फिदेल कास्त्रो
1983 में दिल्ली में हुए गुट निरपेक्ष आंदोलन के सम्मेलन में फिदेल कास्त्रो एक स्टार थे। उसी सम्मेलन में चेयरमैन की कुर्सी तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हस्तांतरित करते हुए वह इंदिरा गांधी के गले लगे। हालांकि इंदिरा गांधी कास्त्रो के इस व्यवहार से चौंक गई और जल्दी ही अलग हो गईं। कास्त्रो को इंदिरा का यह व्यवहार चकित कर गया, लेकिन जल्द ही पूरा माहौल तालियों की गड़गड़ाहट से भर गया।
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