नई दिल्ली: 1961 में सबसे पहले आजाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधो को लेकर वियना कन्वेंशन हुआ था। जिसके तहत ऐसे अंतर्राष्टरीय संधि का प्रावधान हुआ जिसमें राजनयिकों को विशेष अधिकार दिए गए। वियना कन्वेंशन के दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इससे मिलती-जुलती एक और संधि का प्रावधान किया, जिसे ‘वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’ कहा गया।
इसका ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था। जिसे 1964 में इसे लागू किया गया और तभी वियना संधि अस्तित्व में आई। इस संधि के प्रमुख प्रावधानों के तहत कोई भी देश दूसरे देश के राजनियकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकता है। इसके साथ ही राजनयिक के ऊपर मेजबान देश में किसी तरह का कस्टम टैक्स नहीं लगेगा।
वियना संधि के मुताबिक़, राजनयिकों को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें किसी तरह की हिरासत में रखा जा सकता है। भारत ने ICJ में कुलभूषण जाधव का मामला वियना संधि के तहत ही उठाया है। वहीं, इसके अलावा इंटरनेशनल कोर्ट में इटली के नौसेना के अफसरों को भारत द्वारा गिरफ्तार किए जाने का मामला इसी संधि के तहत चला था।
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