नई दिल्ली: मोदी सरकार ने मंगलवार को हज सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि हज सब्सिडी पर खर्च होने वाला पैसा अब मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत सभी कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अब इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। यूपीए सरकार ने इस चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की शुरुआत की थी और अब मोदी सरकार ने एक झटके में इसे पूरी तरह खत्म कर दिया है। मुस्लिम समुदाय के लोग इसकी मांग लंबे अरसे से करते आ रहे हैं। जानिए क्या था इसके पीछे तर्क और क्या था हज सब्सिडी का देश में इतिहास।
1954 में पहली बार सब्सिडी की शुरुआत हुई
आजादी से पहले भारतीय मुसलमान पानी के जहाज से हज यात्रा करते थे। मगर आजादी के बाद सरकार ने पानी के जहाज का किराया बढ़ाने की कोशिश की, तो मुस्लिम समाज ने इसका विरोध शुरू कर दिया। इसे देखते हुए सरकार ने मुस्लिम समाज के सामने ये विकल्प रखा कि वो पानी के जहाज के बजाए अगर हवाई जहाज के जरिए हज यात्रा करते हैं, तो यात्रा के किराये में जो अंतर आएगा, वो सरकार भरेगी। इसके बाद ही साल 1954 में हज पर जाने वाले मुसलमानों को सब्सिडी देने की शुरुआत हुई।
1974 में बना नया नियम
1974 तक तो पुराने नियम के तहत ही मुसलमानों को सरकार सब्सिडी देती रही। मगर 1974 में सरकार ने सब्सिडी हासिल करने के लिए नया नियम बनाया, जिसमें कहा गया कि उसी हज यात्री को सब्सिडी मिलेगी, जो सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया के जरिए हज यात्रा पर जाएगा।
सऊदी अरब से हुआ ये करार
आजादी से पहले पानी के जरिए हज यात्रा हुआ करती थी और वो हवाई जहाज से सस्ता पड़ती थी। इसे देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने इसी साल सऊदी अरब से पानी के रास्ते हज यात्रा को लेकर करार किया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्री डॉ मुहम्मद सालेह बिन ताहिर के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षऱ किए थे और जल्द ही पानी के जरिए हज यात्रा की शुरुआत होगी।
Latest India News