नई दिल्ली. भारत अब कोरोना महामारी के खात्मे के लिए पूरी तरह से तैयार है। भारत ने कोरोना संक्रमण के खात्मे के लिए दो वैकसीन बना ली हैं। इन दोनों में से एक वैक्सीन कोवीशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है जबकि दूसरी वैक्सीन कोवैक्सिन को भारत बायोटेक ने बनाया है। रविवार को इन दोनों वैक्सीन को मंजूरी दे दी गई। इन दोनों वैक्सीनों में क्या अंतर है, ये बहुत बड़ी संख्या में लोग जानना चाहते हैं।
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देश की राजधानी नई दिल्ली में स्थित गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ. लेफ्टिनेंट जनरल वेद चतुर्वेदी ने इन दोनों वैक्सीन के बीच का अंतर समझाते हुए AIR को बताया कि पहला बड़ा अंतर है कि पूर्ण रूप से स्वदेशी वैक्सीन है जबकि दूसरी वैक्सीन को विदेशी कंपनी के साथ मिलकर बनाया गया है। कोवैक्सीन को भारत बायोटेक और ICMR ने मिलकर बनाया है। इस वैक्सीन को पारंपरिक विधि से वायरस को nactivate करने बनाया गया है वहीं दूसरी वैक्सीन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका कंपनी ने बनायी है। इसे वायरस के जीन का प्रयोग कर बनाया गया है। दोवों वैकसीन के लिए करीब 3 से 5 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। इन दोनों को साधारण फ्रिज में रखा जा सकता है।
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क्या वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के परिणाम आ चुके हैं?
उन्होंने बताया कि जब ऑक्सफोर्ड और फाइजर की वैक्सीन बननी शुरू हुई थी, उसी समय हमारे देश की भारत बायोटेक ने भी वैक्सीन बनाना शुरू किया था। लगभग उतने ही समय में स्वदेशी वैक्सीन भी तैयार है। चूंकि समय बहुत कम था, इसलिए तीसरे फेज के ट्रायल के कुछ परिणाम अभी आने बाकी हैं। ये वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। फिलहाल जबतक कोवैक्सीन के सारे परिणाम नहीं आ जाते और उसका पूरा documentation पूरा नहीं हो जाता तक तक उसे इमरजेंसी के लिए रखा जाएगा।
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