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Hindi News भारत राष्ट्रीय दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा- इंडिया गेट पर बड़ी दीवारों के पीछे क्या बन रहा है?

दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा- इंडिया गेट पर बड़ी दीवारों के पीछे क्या बन रहा है?

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि रक्षा मंत्रालय इंडिया गेट पर उन लोगों की याद में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनवा रहा है जिन्होंने आजादी के बाद देश के लिए बलिदान दिया है।

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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से पूछा है कि इंडिया गेट सर्किल पर ‘‘बड़ी दीवारों’’ के पीछे क्या बनाया जा रहा था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने कहा कि हर भवन स्थल पर दिखता है कि क्या बन रहा है लेकिन लुटियंस जोन में इंडिया गेट चौराहे पर ‘‘बड़ी दीवारों’’ के पीछे गुप्त तरीके से निर्माण किया जा रहा है।

दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वकील से पीठ ने पूछा, ‘‘उन बड़ी दीवारों के पीछे आप क्या छिपा रहे हैं? इतनी गोपनीयता क्यों बरती जा रही है? क्या दिल्ली के लोगों को जानने का अधिकार नहीं है? हम भी इस पर जानना चाहते हैं। क्या हम जानने के हकदार नहीं हैं?’’

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि रक्षा मंत्रालय इंडिया गेट पर उन लोगों की याद में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनवा रहा है जिन्होंने आजादी के बाद देश के लिए बलिदान दिया है। पीठ ने फिर पूछा कि गोपनीयता का क्या मतलब है जब इंडिया गेट चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे ही काम नहीं कर रहे हैं।

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की। अदालत को एम्स के एक फिजियोथेरेपिस्ट ने पत्र लिखकर सूचित किया कि 28 जून की रात को इंडिया गेट सर्किल पर सीसीटीवी काम नहीं कर रहे थे। फिजियोथेरेपिस्ट ने दावा किया था कि 28 जून को एक तेज गति वाहन उनकी कार की तरफ विपरीत दिशा से आया, जिससे वह अपनी कार रोकने के लिए बाध्य हो गए।

पत्र में कहा गया है कि इसके बाद दूसरे वाहन के चालक ने उनके साथ मारपीट की और वहां से भाग गया। इसमें बताया गया है कि जब वह शिकायत दर्ज कराने थाने गए तो उन्हें बताया गया कि वाहन का पता नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि इलाके में सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे हैं।

घटना को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि अगर कैमरे काम रहे होते तो ‘‘सड़कों पर हिंसा की घटनाएं खत्म हो जातीं।’’

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