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Hindi News भारत राष्ट्रीय पश्चिम बंगाल में कई महिलाओं को मिल रही है बलात्कार की धमकियां, भेजना चाहती हैं अपनी बच्चियों को राज्य के बाहर

पश्चिम बंगाल में कई महिलाओं को मिल रही है बलात्कार की धमकियां, भेजना चाहती हैं अपनी बच्चियों को राज्य के बाहर

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में हिंसा के बाद हालत का जायजा लेने पहुंची आयोग की एक टीम ने यह पाया है कि कई महिलाओं को बलात्कार की धमकियां मिला रही हैं तथा वे अपनी बच्चियों को राज्य के बाहर भेजना चाहती हैं।

West Bengal violence: NCW says women receiving rape threats, want daughters to leave state- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE (PTI) राष्ट्रीय महिला आयोग की एक टीम ने यह पाया है कि कई महिलाओं को बलात्कार की धमकियां मिला रही हैं।

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में हिंसा के बाद हालत का जायजा लेने पहुंची आयोग की एक टीम ने यह पाया है कि कई महिलाओं को बलात्कार की धमकियां मिला रही हैं तथा वे अपनी बच्चियों को राज्य के बाहर भेजना चाहती हैं क्योंकि पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने एक बयान में यह भी कहा कि पीड़िता डर की वजह से अपनी शिकायतें नहीं कह पा रही हैं। 

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद राज्य में हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं। पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में महिलाओं की कथित पिटाई के वीडियो का संज्ञान लेते हुए महिला आयोग ने मंगलवार की घोषणा की थी कि उसकी एक टीम मामले की जांच के लिए राज्य का दौरा करेगी। 

महिला आयोग की प्रमुख ने कहा, ‘‘आयोग की टीम कई ऐसी पीड़िताओं के बारे में पता चला है जिन्होंने हिंसा के कारण अपना घर छोड़ दिया और आश्रय गृह में रह रही हैं। टीम को सूचित किया गया कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडों द्वारा महिलाओं की पिटाई की गई तथा उनके घरों को आग लगा दी गई।’’ उन्होंने बताया कि महिलाएं जिन आश्रय गृहों में रह ही हैं, वहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है तथा इनका कहना है कि उन्हें चिकित्सा और खाने-पीने की उचित सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा रही हैं।

वहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने एक जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को तीन दिन के अंदर वर्तमान कानून-व्यवस्था की स्थिति पर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। याचिका में दावा किया गया कि चुनाव बाद हिंसा के कारण बंगाल में लोगों का जीवन और उनकी स्वतंत्रता खतरे में है। पीठ ने राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता को निर्देश दिया कि हलफनामे में उन इलाकों का जिक्र करें जहां हिंसा भड़की और यह भी बताएं कि उन पर नियंत्रण करने या रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए गए। 

जनहित याचिका पर दस मई को फिर से सुनवाई हो सकती है। शुरू में इस पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने सुनवाई शुरू की और फिर दोपहर के अवकाश के बाद सुनवाई के लिए इसे बड़ी पीठ के समक्ष भेज दिया। पश्चिम बंगाल में लोगों के जीवन और स्वाधीनता पर खतरे के मद्देनजर (जनहित याचिका के) महत्व को ध्यान में रखते हुए याचिका पर सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की बड़ी पीठ का गठन किया गया। याचिकाकर्ता अनिंद्य सुंदर दास ने याचिका में दावा किया कि राज्य पुलिस बल के कथित तौर पर कार्रवाई नहीं करने के कारण लोगों का जीवन खतरे में है। 

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