कोलकाता: पश्चिम बंगाल का आसनसोल पिछले दिनों सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल उठा था। आगे से ऐसी घटनाओं पर लगाम लग सके, इसके लिए पश्चिम बंगाल सरकार राज्य में अपने खुफिया तंत्र में सुधार कर रही है। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सराकर के इस कदम की जानकारी देते हुए बताया कि हाल ही में हुई आसनसोल-रानीगंज हिंसा के बाद राज्य सरकार जमीनी स्तर पर अपने खुफिया तंत्र को मजबूत करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में अपर्याप्त आधारभूत ढांचे की वजह से इस सुधार की आवश्यकता पड़ी है।
अधिकारी ने बताया, ‘हम स्थानीय खुफिया तंत्र मजबूत कर रहे हैं ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।’ साल2014 में खगरागढ़ में हुए विस्फोट के बाद स्थानीय खुफिया तंत्र को मजबूत करने की जरूरत पहली बार महसूस की गई थी। इस विस्फोट में बांग्लादेशी आतंकवादी समूह जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश का हाथ था। इस घटना के बाद राज्य सरकार ने स्थानीय खुफिया इकाई (LIU) सभी जिलों में स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था। इस यूनिट का काम जमीनी स्तर पर जानकारियां जुटाना था, जिससे आतंकवादियों के बारे में जानकारी हासिल करने में मदद मिलती और राज्य में विनाशक गतिविधियों पर रोक लगती।
लेकिन LIU इकाई में अधिकारियों की तैनाती के अलावा इस विशेष खुफिया सेल के पास ज्यादातर जिलों में कार्यालय परिसर और अन्य ढांचों की कमी ही रही। राज्य गृह विभाग के अधिकारी के अनुसार साल 2016 के बाद बंगाल में हुए दंगों के बारे में विशेष इनपुट था कि इन दंगों का षडयंत्र पहले रचा गया था। ये दंगे छिट-पुट नहीं थे जैसा कि मीडिया और राजनीतिक पार्टियों का एक वर्ग बता रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले 3 वर्षों में पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
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