नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि संघ सभी के लिए आत्मीयता को आदर्श मानता है और इसलिए उसे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अपने कार्यक्रम में बुलाने में कोई हिचक नहीं हुई। भागवत ने कहा , ‘‘ जब वह (मुखर्जी) एक पार्टी में थे , तो वह उनसे (कांग्रेस से) संबंधित थे , लेकिन जब वह देश के राष्ट्रपति बन गए तो वह पूरे देश के हो गए। ’’
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से आयोजित प्रेरणा विद्यार्थी सम्मेलन में उन्होंने कहा , ‘‘ हमें उन्हें आमंत्रित करने में कोई हिचक नहीं हुई और उन्हें आने में कोई हिचक नहीं हुई। हम सब एक ही देश के हैं और हम सबमें एक दूसरे के लिए आत्मीयता होनी चाहिए।’’गौरतलब है कि पिछले महीने आरएसएस की ओर से मुखर्जी को अपने एक कार्यक्रम में बुलाने और पूर्व राष्ट्रपति द्वारा न्योता स्वीकार कर लिए जाने पर कई लोगों ने आपत्ति जताई थी।
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने मुखर्जी की आलोचना भी की थी। प्रेरणा विद्यार्थी सम्मेलन में विद्यार्थी परिषद के संस्थापक दिवंगत दत्ताजी डिडोलकर के जीवन पर लिखी गई एक किताब का भी विमोचन हुआ। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे। गडकरी ने अपने छात्र जीवन के दिनों में डिडोलकर से अपनी चर्चाओं को याद किया।
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