नई दिल्ली: घोटालों के लिए चर्चित मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा 2013 में ली गई पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी एवं बेईमानी करने के लिए यहां सीबीआई की अदालत ने सोमवार को 31 लोगों को सात से 10 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इस घोटाले के मास्टरमाइंड को 10 साल कठोर कारावास की सजा मिली है, जबकि की दोषी करार दिये गये अन्य 30 आरोपियों को सात-सात साल कठोर कारावास की सजा दी गई है। यह पहली बार है, जब व्यापमं घोटाले में इतनी बड़ी तादात में लोगों को इतनी लंबी अवधि के लिए जेल की सजा दी गई है।
सीबीआई के विशेष लोकअभियोजक सतीश दिनकर ने बताया, ‘‘व्यापमं द्वारा ली गई पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा, 2013 के मामले में आज सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस बी साहू ने प्रदीप त्यागी (29) को 10 साल कठोर कारावास की सजा सुनाने के साथ-साथ 5,000 रूपये का जुर्माना भी लगाया।’’? उन्होंने कहा कि अदालत ने उसे इस परीक्षा में हेराफेरी करने के लिए दोषी पाया। दिनकर ने बताया, ‘‘जज साहू ने इस मामले में 30 अन्य लोगों को सात-सात साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है और उन पर तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।’’
उन्होंने कहा कि 21 नवंबर को अदालत ने व्यापमं द्वारा 2013 में ली गई पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी एवं बेईमानी करने के लिए इन 31 लोगों को दोषी करार ठहराया था और 25 नवंबर को सजा सुनाने की तिथि तय की थी। दिनकर ने बताया कि जिन लोगों को आज सजा सुनाई गई है, उनमें 12 बहुरूपिया (दूसरे के बदले परीक्षा देने वाले) और 7 दलाल (परीक्षार्थियों से पैसे लेकर पास करवाने वाले) शामिल हैं। इन 12 बहुरूपियों में से 6 बहुरूपियों को भोपाल के परीक्षा केन्द्र से एवं 6 बहुरूपियों को दतिया के परीक्षा केन्द्र से पकड़ा गया था।
उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने इस परीक्षा में धोखाधड़ी एवं बेईमानी करने के लिए इन आरोपियों को सजा दिलाने के लिए 91 गवाह एवं कई साक्ष्य पेश किये थे। दिनकर ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 419, 420, 467, 468 एवं 471 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मालूम हो कि व्यापमं द्वारा मध्य प्रदेश की विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए ली गई भर्ती परीक्षाओं एवं प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में पिछले कई वर्षों में कथित रूप से अनियमितता कर करोड़ों रूपये के घोटाले हुए और इसमें तत्कालीन मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव (अब दिवंगत) भी घिर गये थे। उनके अलावा, इस घोटाले में अनेक पेशेवर व्यक्ति, मंत्री, नेता, नौकरशाह, दलाल एवं छात्र अभियुक्त हैं। इनमें से एक मंत्री सहित कुछ लोग जेल भी रह चुके हैं।
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