भोपाल गैस कांड जैसा खौफनाक मंज़र? विशाखापट्टनम हादसे ने ताज़ा कर दी 36 साल पुरानी त्रासदी की याद
विशाखापत्तनम में जहरीली गैस के रिसाव की इस घटना ने करीब 36 साल पहले हुई ऐसी ही एक दुर्घटना की यादें ताजा कर दीं। भोपाल के इस हादसे में 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
विशाखापट्टनम के आर.आर. वेंकटपुरम गांव रात करीब 3.30 बजे लोगों की आंख एक जहरीली बदबू के साथ खुली। अचानक लोगों का दम घुटने लगा, आंखें जलने लगीं। जब सुबह हुई तब तक खबर पूरे देश में फैल चुकी थी। अंतिम समाचार मिलने तक इस दुर्घटना में 7 लोगों की जान जा चुकी है और 3 हजार से ज्यादा बीमार हो चुके हैं। मरने वालों में एक बच्चा भी शामिल है। एक इंसान की मौत दम घुटने के बाद भागते वक्त कुंए में गिरने से हुई। विशाखापत्तनम में जहरीली गैस के रिसाव की इस घटना ने करीब 36 साल पहले हुई ऐसी ही एक दुर्घटना की यादें ताजा कर दीं। भोपाल के इस हादसे में 3000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
पता चला कि आर.आर. वेंकटपुरम के एलजी पॉजिमर कारखाने से स्टीरीन गैस का रिसाव हुआ है। यह फैक्ट्री कोरोना लॉकडाउन के चलते पिछले डेढ़ महीने से बंद है। गैस रिसाव के चलते करीब 3 किलोमीटर क्षेत्र में लोग सड़कों पर बेहोश होकर गिरने लगे।आंखें जलने लगीं और कुछ लोगों को शरीर पर छाले पड़ने की समस्या भी हुई। आनन-फानन में प्रशासन ने 9 गांवों को खाली करा लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजा, कम से कम 5 लोग जहरीली गैस से काल के गाल में समा चुके थे।
याद आ गई भोपाल की वो काली रात
विशाखापट्टनम की इस घटना ने आज से 36 साल पहले हुए भोपाल गैस कांड की याद दिला दी। 2 दिसंबर 1984 की आधी रात भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली मिथाइल आइसोसायनाइड गैस का रिसाव हुआ था। जहरीले गैस का रिसाव शुरू हुआ और पूरे शहर में बादल की तरह छा गया। तब लोग सो रहे थे और कई लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। जिनकी जानें बच गईं, उनके फेफड़े कमजोर पड़ गए और आखें खराब हो गईं। यह विश्व की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक है। मौत का वास्तविक आंकड़ा 15 हजार से ज्यादा था, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में 3787 मौतें ही दर्ज हैं। वहीं 1.2 लाख लोग प्रभावित हुए थे।
क्या है स्टीरीन गैस
जिसके रिसाव से विशाखापतनम में 9 लोगों की जान चली गई, वह इंडस्ट्रियल इस्तेमाल में आने वाली एक गैस स्टीरीन है। स्टीरीन गैस ऑक्सीजन के साथ आसानी से घुलने वाली गैस है, संपर्क में आने से फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है, आंखों में तेज जलन, सीने में तकलीफ की शिकायत, दिमाग और रीड़ की हड्डियों पर असर पड़ता है, ज्यादा समय के लिए शरीर में गैस रहे तो लीवर पर भी प्रभाव पड़ता है।