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Hindi News भारत राष्ट्रीय विशाखापत्तनम में गैस रिसाव से 11 लोगों की मौत, 1000 लोग प्रभावित : सरकार

विशाखापत्तनम में गैस रिसाव से 11 लोगों की मौत, 1000 लोग प्रभावित : सरकार

केंद्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक रसायन फैक्टरी में गैस रिसाव होने के बाद वहां एनडीआरएफ के सीबीआरएन (रसायन, जैविक, रेडियोधर्मी और परमाणु) विशेषज्ञों की एक टीम और मेडिकल विशेषज्ञ भेजे जा रहे हैं। 

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नयी दिल्ली:  केंद्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक रसायन फैक्टरी में गैस रिसाव होने के बाद वहां एनडीआरएफ के सीबीआरएन (रसायन, जैविक, रेडियोधर्मी और परमाणु) विशेषज्ञों की एक टीम और मेडिकल विशेषज्ञ भेजे जा रहे हैं। गैस रिसाव की इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 1000 अन्य प्रभावित हुए हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि फैक्टरी से रिसाव अब बहुत कम हो गया है लेकिन एनडीआरएफ कर्मी इसे पूरी तरह से बंद करने तक मौके पर मौजूद रहेंगे। 

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि गैस रिसाव से अभी तक 11 लोगों की मौत हुई है और 20-25 लोगों की हालत नाजुक है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कमल किशोर ने कहा कि फैक्टरी के आसपास के इलाकों में रह रहे करीब 1,000 लोग गैस रिसाव से प्रभावित हुए हैं। प्रधान ने कहा कि संयंत्र के तीन किमी के दायरे से 200 से 250 परिवारों के लगभग 500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। किशोर ने कहा कि जो गैस लीक हुई है वह स्टाइरीन है और घटनास्थल विशाखापत्तनम से करीब 20 किमी दूर है। उन्होंने कहा, ‘‘यह जहरीला है और मानव स्वास्थ्य के लिये नुकसानदेह है। अभी तक हमने यह जानकारी मिली है कि फैक्टरी के आसपास के इलाकों में रह रहे करीब 1,000 लोग प्रभावित हुए हैं।’’

 इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गैस रिसाव मामले के कारण उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री ने गैस लीक होने के बाद पैदा हुए हालात के मद्देनजर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की बैठक की अध्यक्षता की और स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने गृह मंत्रालय और एनडीएमए के अधिकारियों से स्थिति के संबंध में बात की है, जो स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए हैं । वहीं, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति’ की बैठक हुई और गैस रिसाव से उत्पन्न स्थिति को नियंत्रित करने के लिये जरूरी कदमों, प्रभावित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा वहां आपात स्थिति से निपटने के लिये जरूरी कदमों का खाका तैयार किया गया। 

किशोर ने कहा कि केंद्र सरकार एनडीआरएफ की सीबीआरएन विशेषज्ञों की एक टीम पुणे से विशाखापत्तनम भेज रही है और वह स्थानीय अधिकारियों को हर तकनीकी सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम इलाके में चिकित्सकों को विशेषज्ञ तकनीकी सहायता देने में भी जुटे हुए हैं, जिनके समक्ष इस तरह की आपात स्थिति से अब तक नहीं आई होगी। ’’

यह पूछे जाने पर कि लॉकडाउन के बाद इस तरह की फैक्टरियों के खुलने के मद्देनजर क्या केंद्र कुछ दिशानिर्देश जारी करेगी, किशोर ने कहा कि रासायनिक सुरक्षा पर विस्तृत दिशानिर्देश हैं और ये बहुत स्पष्ट हैं। उद्योगों को पहले की तरह ही उन्हें गंभीरता से लागू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नये दिशानिर्देश जारी करने की जरूरत नहीं है लेकिन कोविड-19 के प्रसार के कारण सामाजिक मेलजोल से दूरी को उपयुक्त रूप से लागू किया जाना चाहिए। 

प्रधान ने इस घटना का ब्योरा देते हुए बताया कि यह तड़के करीब ढाई बजे हुई। शुरूआत में लोगों को गले में खराश और त्वचा में खुजली तथा जहरीली गैस की दुर्गंध महसूस हुई। उन्होंने बताया, ‘‘हमने सुबह करीब साढ़े पांच से पौने छह बजे के बीच एनडीआरएफ कर्मियों को इसकी सूचना दी और आधे घंटे में पहुंच गये।’’ एनडीआरएफ प्रमुख ने कहा कि एनडीआरएफ के कर्मी आसपास के इलाकों में अचेत लोगों मदद के लिये घर-घर जाकर मुआयना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम उस इलाके में तब तक मौजूद रहेंगे जब तक कि हम पूर्ण रूप से आश्वस्त नहीं हो जाएं कि स्थिति नियंत्रण में है। हम जरूरत रहने तक घटनास्थल पर रहेंगे।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘ स्थिति नियंत्रण में है और मुझे लगता है कि कुल मिला कर हम कह सकते हैं कि यह पुनर्वास और पीड़ितों के इलाज का मुद्दा है।’’ प्रधान ने यह भी कहा कि स्थानीय पुलिस रिसाव के कारणों का पता लगा रही है। रिसाव का ज्यादा प्रभाव करीब छह-सात घंटे रहा तथा स्थिति निगरानी में है। अब चिंता करने की कोई बात नहीं है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि घटनास्थल से निकाले गये लोगों का इलाज किया जा रहा है और उनकी करीबी निगरानी की जा रही है। वह भी ब्रीफिंग में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि वहां घर-घर जाकर यह पता लगाया जा रहा है कि क्या कोई व्यक्ति स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या का सामना तो नहीं कर रहा है। 

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