नई दिल्ली. जाने-माने विषाणु विज्ञानी शाहिद जमील ने कोरोना वायरस की जीनोम श्रंखला का पता लगाने वाली केंद्र सरकार की समिति आईएनएसएसीओजी के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले जमील ने कहा था कि वैज्ञानिकों को "साक्ष्य आधारित नीति निर्णय के प्रति अड़ियल रवैये" का सामना करना पड़ रहा है। गत शुक्रवार को आईएनएससीओजी की बैठक हुई थी। इसमें मौजूद अधिकारियों में से दो ने बताया कि उसी बैठक में जमील ने इस्तीफे की घोषणा कर दी थी। फोन कॉल और संदेशों का जमील की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।
एक अधिकारी ने बताया कि जमील ने इस्तीफा देने के पीछे कोई कारण नहीं बताया है। पिछले हफ्ते शाहिद जमील ने ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बारे में एक लेख लिखा था।
उक्त लेख में उन्होंने लिखा था, "भारत में मेरे साथी वैज्ञानिकों के बीच इन उपायों को लेकर खास समर्थन है। लेकिन साक्ष्य आधारित नीति निर्माण के प्रति उन्हें अड़ियल रवैये का सामना करना पड़ रहा है। 30 अप्रैल को 800 से अधिक भारतीय वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील की थी उन्हें आंकड़े उपलब्ध करवाए जाएं ताकि वे आगे अध्ययन कर सकें, अनुमान लगा सकें और इस वायरस के प्रकोप को रोकने के प्रयास कर सकें।"
उन्होंने कहा, "भारत में वैश्विक महामारी काबू से बाहर हो चुकी है, ऐसे में आंकड़ों पर आधारित नीति निर्णय भी खत्म जैसा ही है। इसकी मानवों से संबंधित जो कीमत हमें चुकानी पड़ रही है उससे होने वाली चोट स्थायी निशान छोड़ जाएगी।"
'दी इंडियन सार्स-सीओवी2 कॉनसोर्टियम ऑन जीनोमिक्स (आईएनएसएसीओजी)' दस राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का समूह है जिसकी स्थापना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बीते वर्ष 25 दिसंबर को की थी। इस समिति का काम है कोरोना वायरस की जीनोम श्रंखला तैयार करना और जीनोम के स्वरूपों तथा महामारी के बीच संबंध तलाशना। हालांकि देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद समिति की आलोचना की जाने लगी।
इस महीने की शुरुआत में जमील ने रॉयटर्स से कहा था, "मुझे चिंता इस बात की है कि नीति निर्माण के लिए वैज्ञानिक पहलू पर विचार नहीं किया जा रहा। मैं भलीभांति जानता हूं कि मेरा अधिकार क्षेत्र कहां तक है। एक वैज्ञानिक होने के नाते हम साक्ष्य दे सकते हैं लेकिन नीति निर्माण का काम सरकार का है।"
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