राम मंदिर पर रामलीला मैदान में उमड़ा भगवा जनसैलाब, लगे 'रामराज्य फिर लाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' के नारे
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने रविवार को राजधानी में अपनी शक्ति का जबर्दस्त प्रदर्शन किया।
नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने रविवार को राजधानी में अपनी शक्ति का जबर्दस्त प्रदर्शन किया जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता सुरेश ‘भैयाजी’ जोशी ने मंदिर के मुद्दे पर अपना चुनावी वादा पूरा नहीं करने को लेकर भाजपा पर परोक्ष हमला किया। यहां खचाखच भरे रामलीला मैदान में भगवा टोपियां लगाये हजारों लोग ‘रामराज्य फिर लायेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे’ जैसे नारे लगा रहे थे। विहिप की यह रैली इस मायने से अहम है कि यह मंगलवार से शुरु हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले हुआ है। कई हिंदू संतों, वरिष्ठ आरएसएस और विहिप नेताओं ने इस रैली को संबोधित किया और कहा कि उच्चतम न्यायालय को लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए।
आरएसएस के सरकार्यवाह ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘जो आज सत्ता में हैं, उन्होंने राम मंदिर बनाने का वादा किया था। उन्हें लोगों की बात सुननी चाहिए और अयोध्या में राम मंदिर की मांग पूरी करनी चाहिए। वे लोगों की भावनाओं से अवगत हैं।'' भाजपा का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, ‘‘हम इसके लिए भीख नहीं मांग रहे हैं। हम अपनी भावनाएं प्रकट कर रहे हैं। देश ‘राम राज्य’ चाहता है।'' जोशी ने कहा कि जिस देश में न्यायिक प्रणाली के प्रति अविश्वास पैदा हो जाता है, वह विकास के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता। उच्चतम न्यायालय को भी इस तथ्य को और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए।उन्होंने कहा, ‘‘हमारा किसी समुदाय के साथ टकराव नहीं है। हम लोग भीख नहीं मांग रहे हैं बल्कि अपनी भावनाएं प्रकट कर रहे हैं। कानून बनाना ही राम मंदिर के लिए एकमात्र विकल्प है। जब तक वादा पूरा नहीं हो जाता तब तक संघर्ष जारी रहेगा।''
हरिद्वार के स्वामी हंसदेवाचार्य ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘चेतावनी’ दी कि हम उन्हें तब तक सीट से उतरने नहीं देंगे जब तक राम मंदिर बन नहीं जाता। उन्हें जरूर अपना वादा पूरा करना चाहिए। अयोध्या भूमि विवाद में मालिकाना हक का मुकदमा उच्चतम न्यायालय में लंबित है। अगले साल जनवरी में अदालत सुनवाई की तारीख की घोषणा कर सकती है। लेकिन यह विवाद 25 सालों से अधिक समय से अनसुलझा है। दक्षिणपंथी संगठन केंद्र सरकार से अदालत से परे जाने और कानून बनाकर मंदिर निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने की मांग कर रहे हैं। विहिप अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने कहा कि जन भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए क्योंकि ‘‘लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है न कि अदालत।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह गलतफहमी है कि हम मस्जिद के स्थान पर मंदिर क निर्माण चाहते हैं। वहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनायी गयी। राममंदिर को चुनावी मुद्दा कहना भी गलत है। हर छह महीने पर देश में कहीं न कहीं कोई न कोई चुनाव होते हैं.... इसका मतलब नहीं है कि हम इस पर बैठे रहें।’’ विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को राममंदिर के निर्माण का समर्थन करना चाहिए और आगामी शीतकालीन सत्र में इस पर कानून बनाया जाना चाहिए। रामलीला मैदान में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे और ऊंची जगहों पर स्नाइपर (अचूक निशानेबाज) तैनात किए गए थे।
विहिप ने रैली के लिए घर-घर जाकर प्रचार अभियान चलाया था।विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, ‘‘ यह विशाल सभा है जो उन लोगों का हृदय परिवर्तन करेगी जो राम मंदिर के निर्माण के लिए विधेयक लाने के पक्ष में नहीं हैं।'' विहिप ने मंदिर के अपने अभियान के पिछले चरणों में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और राज्य के राज्यपालों से मुलाकात की थी। आने वाले चरण में वे मंदिरों और मठों में धार्मिक अनुष्ठान और प्रार्थना आयोजित करेंगे। इस अभियान का समापन प्रयाग में साधु-संतों की ‘धर्म संसद’ के साथ होगा। अंतिम ‘धर्म संसद’ 31 जनवरी और एक फरवरी को आयोजित होगी।