शिष्य की गलती की सजा गुरु को भी-
चाणक्य ने अपने अपार अनुभवों के आधार पर बताया कि जब कोई शिष्य गलती करता है तो इसमें भी उसके गुरु की अहम भूमिका होती है। यानी गुरु के गलत कामों का अंजाम उसके शिष्यों को भी भुगतना होता है। गुरु काम होता है कि वो अपने शिष्यों को सही और गलत राह का अहसास कराए और उसे हमेशा सही काम करने के लिए प्रोत्साहित करे..यदि कोई गुरु ऐसा नहीं करता तो उसका चेला मार्ग भटककर गलत कामों में लिप्त हो सकता है और इसका परिणाम उस गुरु को भी भोगना पड़ सकता है।
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