नई दिल्ली: जीवन से जुड़े तमाम क्षण हर किसी के जीवन में आते हैं और उसे प्रभावित करते हैं। लोगों को आमतौर पर लगता है कि हमारा स्वभाव ही हमारी सफलता और असफलता की कहानी लिखता है, मगर ऐसा हर बार सच नहीं होता। कई बार देखा जाता है कि अच्छे स्वभाव के लोगों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और उन्हें भी असफलता हाथ लगती है। वहीं आजकल के तेजतर्रार जमाने में सीधे-साधे लोगों का जीना मुश्किल होता है। सीधे साधे लोग कई बार मुश्किलों में फंसते हैं जो उनकी कामयाबी को उनसे दूर कर देता है। वैसे तो भोले-भाले और सीधे साधे लोगों को हर कोई प्रताड़ित कर लेता है लेकिन प्रकांड विद्वान आचार्य चाणक्य ने भी ऐसे ही लोगों के लिए कुछ खास युक्तियां बताई हैं जो उनकी कामयाबी को सुनिश्चित कर सकती हैं। जानिए आचार्य चाणक्य ने क्या कहा।
चाणक्य ने भोले भाले लोगों के मद्देनजर एक दोहा भी लिखा है जिसे मानकर वो कामयाबी की ओर अग्रसर हो सकते हैं...
अतिहि सरल नहिं होइये, देखहु जा बनमाहिं।
तरु सीधे छेदत तिनहिं, बांके तरु रहि जाहि।।
इस दोहे का अर्थ है कि जो लोग स्वभाव से सीधे साधे होते हैं उन्हें हरदम ऐसे नहीं रहना चाहिए। क्योंकि उनके हरदम ऐसा रहने से कोई भी उनका गलत फायदा उठा सकता है। दुनिया की हर पीढ़ी में विद्यमान चालाक लोग ऐसे ही सीधे साधे लोगों के लिए कई तरह की मुश्किलें खड़ी करते हैं..कभी कभार इसी वजह से इन्हीं सीधे साधे लोगों को अपमान भी सहना पड़ता है। इसी कारण ऐसे लोगों को दुर्बल माना जाता है। अत: उन्हें ऐस नहीं करना चाहिए। आचार्य चाणक्य का मानना था कि अत्यधिक सीधा स्वभाव भी मूर्खता की श्रेणी में आता है। इसलिए: व्यक्ति को थोड़ा चतुर होना चाहिए ताकि वह जीवन में कुछ बेहतर कार्य कर सके। इस बात का उम्दा उदाहरण है जंगल में लगे सीधे वृक्ष। जंगल में लगे सीधे वृक्ष ही काटने के लिए सबसे पहले चुने जाते हैं।
अगली स्लाइड में पढ़ें चाणक्य ने और क्या कहा
Latest India News