उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसे में में रेलवे ने बड़ी लापरवाही दिखाई वहीं स्थानीय लोग मदद के लिए आगे आए। आपको बता दें मुजफ्फरनगर का खतौली मुस्लिम बाहुल्य इलाका है। उत्कल कलिंग एक्सप्रेस में देश के अलग अलग राज्यों से काफी संख्या में साधु संत और श्रद्धालु सवार होकर हरिद्वार जा रहे थे और हादसे के बाद स्थानीय मुस्लिम ही सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे और लोगों की मदद की। इस हादसे में 24 लोगों की मौत हुई है और करीब 97 घायल हुए हैं।
मुजफ्फरनगर ट्रेन हादसे में किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने अपनी बेटी, किसी का सुहाग उजड़ा तो किसी के सिर से मां-बाप का साया उठ गया लेकिन कई ऐसे भी लोग थे जिन्हें मौके पर ही देवदूत की शक्ल में मिली स्थानीय लोगों की मदद। ये खतौली के वो स्थानीय मुस्लिम थे जो फौरन हादसे वाली जगह पर पहुंचे और घायल लोगों की मदद करके उनकी ज़िंदगी बचाई।
कलिंगा उत्कल एक्सप्रेस पुरी से हरिद्वार के लिए जा रही थी। ट्रेन में सवार ज्यादातर लोग हरिद्वार गंगा दर्शन के लिए जा रहे थे। कोई पुरी से चला आ रहा था तो कई लोगों ने राजस्थान से ट्रेन पकड़ी थी। ट्रेन में सवार साधु-संतों के जत्थे ने बताया कि इस इलाके के मुस्लिम अगर वक्त पर घटनास्थल न पहुंचते और बोगी से खींचकर उन्हें बाहर न निकालते तो आज वे जिंदा नहीं रहते। यात्रियों ने बताया कि स्थानीय लोग उनके लिए पानी लेकर आए, खाट की व्यवस्था की यहां तक कि प्राइवेट डॉक्टर बुलाकर घायलों का प्राथमिक इलाज भी करवाया।
यकीनन जब देश में हिंदू मुस्लिम के नाम पर नफरत की सियासत चरम पर हो... धर्म के नाम पर बांटने का खेल खेला जा रहा हो, ऐसे में मुजफ्फरनगर में स्थानीय मुस्लिमों ने वाकई भाईचारे और इंसानियत को अहमियत दी। टोपी पहने मुस्लिमों ने भगवा का फर्क नहीं किया और दर्दनाक हादसे में धर्म से पहले इंसानियत का फर्ज़ निभाकर मिसाल कायम की।
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