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राजस्थान: अफसरों को बचाने के बिल पर बवाल, विरोध में कांग्रेस का बायकॉट

पुलिस ने विरोध मार्च में शामिल नेताओं को हिरासत में ले लिया है और बसों में बैठाकर बजाज नगर थाने ले गये हैं। कांग्रेस, दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक, 2017 को काला कानून बताते हुए इसे वापस लेने के लिए राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन आज राज्यपाल को द

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नई दिल्ली: सरकारी कर्मचारियों पर राजस्थान सरकार के नए विधेयक को विधानसभा में पेश किया गया जिसके बाद बिल के विरोध में कांग्रेस ने सदन से बायकॉट किया। हंगामे को देखते हुए सदन को आज स्थगित कर दिया गया। इससे पहले मुंह पर काली पट्टी और हाथों में पोस्टर लेकर कांग्रेस विधायकों ने वसुंधरा सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस विधायकों की डीएसपी से नोकझोंक भी हुई।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में विरोध मार्च राजभवन के लिए रवाना हुआ। पुलिस ने रास्ते में ज्योति नगर थाने के निकट सभी को रोका और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया। पायलट के साथ राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामेर डूडी, कांग्रेस विधायक एवं वरिष्ठ नेता अश्क अली टांक सहित अन्य मुंह और कानों पर काली पट्टिया बांधे और विधेयक को काला कानून की संख्यान देने वाले नारे लिखी तख्तियां हाथ में लेकर मार्च निकाल रहे थे।

पुलिस ने विरोध मार्च में शामिल नेताओं को हिरासत में ले लिया है और बसों में बैठाकर बजाज नगर थाने ले गये हैं। कांग्रेस, दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक, 2017 को काला कानून बताते हुए इसे वापस लेने के लिए राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन आज राज्यपाल को देने वाली थी।

इससे पहले गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने प्रतिपक्ष और भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक के भारी विरोध और वाकआउट के बीच दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक, 2017 सदन में पेश किया। गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया और संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने विधेयक का विरोध कर रहे सदस्यों को हालांकि, आश्वासन दिया कि चर्चा के दौरान उनकी शंकाओं का समाधान किया जाएगा। इसके बावजूद कांग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी और भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने अध्यक्ष कैलाश मेघवाल द्वारा विधेयक पर बोलने की अनुमति नहीं देने और विधेयक के विरोध में सदन से वाकआउट किया।

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस के रमेश मीणा ने दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक, 2017 के विरोध में बोलना शुरू किया। हालांकि अध्यक्ष ने उनकी बातों को सदन की कार्यवाही में अंकित नहीं करने का निर्देश दिया। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच कटारिया ने दंड विधियां राजस्थान संशोधन विधेयक, 2017 जबकि अन्य मंत्रियों ने अपने-अपने विभाग के विधेयक सदन में पेश किये।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मौजूदगी में तिवाड़ी ने अध्यक्ष से उक्त विधेयक पर बोलने के लिए दो बार अनुमति मांगी, और आसन के इनकार से नाराज होकर सदन से बहिर्गमन किया। निर्दलीय विधायक माणिक चंद सुराणा ने उक्त संशोधन विधयेक नियमों के तहत पेश नहीं करने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति की पूर्वानुमति अनिवार्य है। उनकी पूर्वानुमति के बगैर इसे पेश नहीं किया जा सकता।

नेता प्रतिपक्ष रामेर डूडी भी इस मुद्दे पर बोलना चाहते थे लेकिन अध्यक्ष ने अनुमति नहीं दी। प्रतिपक्ष और साा दल के एक विधायक के विरोध के बीच कटारिया ने कहा, मैंने अभी इस विधेयक को पुरस्थापित किया है जब चर्चा हो, तभी बहस करें, सरकार हर बात का जवाब देगी।

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