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क्या पुष्पेंद्र यादव का फर्जी एनकाउंटर हुआ? झांसी मुठभेड़ की इनसाइड स्टोरी

उत्तर प्रदेश के झांसी में पुष्पेंद्र यादव के एनकाउंटर के मामले पर सिसायत चरम पर है। एक तरफ परिवार पुष्पेंद्र के एनकाउंटर पर सवाल उठा रहा है, वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कल परिवार से मिले और उनके साथ खड़े होने का वादा किया।

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के झांसी में पुष्पेंद्र यादव के एनकाउंटर के मामले पर सिसायत चरम पर है। एक तरफ परिवार पुष्पेंद्र के एनकाउंटर पर सवाल उठा रहा है, वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी कल परिवार से मिले और उनके साथ खड़े होने का वादा किया। पुष्पेंद्र के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उसकी हत्या की है जबकि पुलिस का दावा है कि छह अक्टूबर को पुष्पेंद्र और उसके साथियों ने पुलिस पर हमला किया था।

बताया जा रहा है कि 5-6 अक्टूबर की दरमियानी रात में एक एनकाउंटर हुआ जिसमें पुष्पेंद्र यादव नाम के युवक की मौत हो गई लेकिन पुष्पेंद्र के परिवार का कहना है कि रिश्वत ना देने पर मौठ थाने के दारोगा धर्मेंद्र सिंह चौहान ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी और फिर इसे एनकाउंटर बता दिया।

दरअसल झांसी में पुष्पेंद्र के दो ट्रक चलते थे, जिससे बालू, मोरंग और डस्ट भेजे जाते थे। 29 सितंबर को मौठ थाने के दारोगा धर्मेंद्र सिंह चौहान ने अवैध खनन का माल ले जाने के आरोप में पुष्पेंद्र की एक ट्रक पकड़ ली थी। पुष्पेंद्र की पत्नी का इल्जाम है कि गाड़ी छोड़ने के लिए उसके पति ने इंस्पेक्टर धर्मेंद्र को 1 लाख रुपए की घूस दी थी, लेकिन ट्रक नहीं छोड़ा गया। 

एनकाउंटर वाले दिन भी पुष्पेंद्र 50 हजार रुपए लेकर गया था, लेकिन रिश्वत की रकम को लेकर विवाद हो गया और पुष्पेंद्र की हत्या कर दी गई। वहीं आरोपी दारोगा धर्मेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि पुष्पेंद्र और उसके साथियों ने उसपर गोली चलाई जिसके बाद मुठभेड़ हुआ और पुष्पेंद्र मारा गया।

आरोपी धर्मेंद्र सिंह चौहान ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें लिखा है कि वो एक सिपाही के साथ प्राइवेट गाड़ी से गश्त पर निकले थे। रास्ते में पुष्पेंद्र, उसके भाई रवींद्र और विनीत ने उनकी गाड़ी रोकी और गाड़ी लूटकर भाग गए। बाद में जब उन्हें पकड़ा गया, तो वो पुलिस पर फायरिंग करने लगे। जवाबी कार्रवाई में पुष्पेंद्र की मौत हो गई जबकि रवींद्र का कहना है कि वो सीआईएसएफ में काम करता है। वो घटना के दिन दिल्ली मेट्रो में ड्यूटी पर थे।

पुलिस का कहना है कि पुष्पेंद्र ने दारोगा धर्मेंद्र को जान से मारने की कोशिश की, इसलिए मुठभेड़ में मारा गया। उसके पास से असलहे भी बरामद हुए हैं। पुलिस के मुताबिक पुष्पेंद्र के खिलाफ 5 मुकदमें दर्ज थे, लेकिन घर वाले कह रहे हैं कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। वो थाने में चल रही वसूली की वजह से मारा गया। परिवार का इल्जाम है कि पुलिस ने बिना उनकी मौजदगी में पुष्पेंद्र का आनन फानन में अंतिम संस्कार कर दिया, लेकिन पुलिस कहती है कि हमने परिवार से शव ले जाने को कहा, वो नहीं ले गए, इसलिए अंतिम संस्कार करना पड़ा।

उधर पुष्पेंद्र के घर के बाहर चार दिन से धरना चल रहा है। परिवारवाले आरोपी दारोगा धर्मेंद्र सिंह चौहान को सस्पेंड करने, उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने और मामले में सीबीआई जांच मांग कर रहे हैं। इन सबके बीच अब इस मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव झांसी पहुंचे। उन्होंने पुष्पेंद्र के परिजनों से मुलाकात की। साथ ही एनकाउंटर को फर्जी बताया।

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