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Hindi News भारत राष्ट्रीय 'गायों को आधार से जोड़ने पर तस्करी रुकेगी'

'गायों को आधार से जोड़ने पर तस्करी रुकेगी'

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि सरकार के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। वे मानते हैं कि सरकार का यह कदम गौहत्या और तस्करी रोकने में कारगर साबित होगा...

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नई दिल्ली: जब से केंद्र सरकार ने बजट में गायों के लिए आधार कार्ड योजना के लिए 50 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इस फैसले पर नाक-भौं सिकोड़ने वालों की संख्या बढ़ी है। सरकार के इस ऐलान को भाजपा की 'गौप्रेम राजनीति' से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि सरकार के इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। वे मानते हैं कि सरकार का यह कदम गौहत्या और तस्करी रोकने में कारगर साबित होगा। इसी तर्ज पर अन्य दुधारू पशुओं को भी आधार से जोड़ा जाना जरूरी है।

पशु अधिकार कार्यकर्ता मयंक जैन ने गायों को आधार से जोड़ने की सरकार की पहल 'पशु संजीवनी' योजना के बारे में आईएएनएस को बताया, "सरकार की इस पहल में मुझे कुछ गलत नजर नहीं आता। गायों की तस्करी रोकने की दिशा में यह एक सराहनीय कदम है। यदि भारत जीव हत्या पर रोक नहीं लगाएगा तो कौन लगाएगा? आज पशुओं को लेकर लोगों में संवेदनशीलता की कमी है। भारत से बांग्लादेश में करोड़ों की संख्या में गायों की तस्करी की जाती है। इन गायों को काटकर या तो इनके मांस और चमड़े का निर्यात किया जाता है, या इन्हें बेच दिया जाता है।"

वह कहते हैं, "इस पहल को राजनीति या धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। क्या आपको पता है कि बांग्लादेश की पूरी अर्थव्यवस्था ही गायों की तस्करी पर निर्भर है। भारत से बांग्लादेश जाने वाली इन गायों को कितनी भयावह यातना से गुजरना पड़ता है, इसका अंदाजा लगाने पर रूह तक कांप जाएगी। बांग्लादेश से गाय के मांस का निर्यात दुनियाभर में होता है।"

गायों की सेवा में कार्यरत संस्था हॉली काउ फाउंडेशन की संस्थापक अनुराधा मोदी कहती हैं, "मुझे यह समझ नहीं आता कि इस कदम को राजनीतिक या धार्मिक दृष्टिकोण से क्यों देखा जा रहा है। आज के समय में सबसे ज्यादा गायों की तस्करी हो रही है। हम अपने फायदे के लिए गायों को बेच रहे हैं। गाय का दूध सभी को चाहिए, लेकिन इनकी सेवा कोई करना नहीं चाहता।"

वह आगे कहती हैं, "आप सड़कों पर यहां-वहां मंडराते हुई जिन गायों को देखते हैं, वे आवारा नहीं होती। डेयरी मालिक इन गायों की सेवा से बचने के लिए इन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं। ये दिनभर कूड़-करकट खाती हैं, दूषित जल पीती हैं और बाद में इनका दूध निकाल लिया जाता है। कोटला नाला में सबसे बड़ी दूध डेयरी है, वहां की हालत जाकर देखेंगे तो दूध पीना छोड़ देंगे। आधार बनने के बाद इस स्थिति में सुधार होगा और गायों को सड़कों पर आवारा छोड़ना आसान नहीं होगा।"

सरकार की 'पशु संजीवनी' योजना का समर्थन करते हुए अनुराधा कहती हैं, "सरकार ने गायों के लिए आधार बनाने का जो फैसला किया है, वह सराहनीय है। इसके तहत गायों की उम्र, लिंग, नस्ल, सींग के आकार सहित सभी जानकारी मौजूद रहेगी। गायों की तस्करी पर लगाम लगेगी, गौहत्या पर भी अंकुश लगने में मदद मिलेगी।" वह आगे कहती हैं, "सरकार ने यह जो कदम उठाया है, यह छोटा सा ही प्रयास है लेकिन हम धर्म का झंडा लेकर इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं। गाय का दूध सभी चाहते हैं लेकिन उसकी देखभाल नहीं करना चाहते। यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ा गौ हित में लिया गया फैसला है।"

अनुराधा कहती हैं, "सरकारों ने आज तक गायों की हालत सुधारने की दिशा में कोई काम नहीं किया। फिर चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस। अब किसी ने कोई पहल की है, तो इसे धर्म और राजनीति से जोड़ा जा रहा है।" वह कहती हैं कि इसमें गलती हमारी है कि हमने गाय को 'पॉलिटिकल एनिमल' बना दिया है।

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