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Hindi News भारत राष्ट्रीय मेरठ में दिखी सौहार्द की अनूठी मिसाल, Lockdown में रोजेदारों ने कंधा देकर श्मशानघाट पहुंचाया

मेरठ में दिखी सौहार्द की अनूठी मिसाल, Lockdown में रोजेदारों ने कंधा देकर श्मशानघाट पहुंचाया

कोरोना वायरस के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इंसानियत, भाईचारा और सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश करते हुए रोजेदारों ने एक धर्मशाला के संरक्षक रमेशचंद माथुर की अर्थी को मंगलवार को कंधा दिया।

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मेरठ: कोरोना वायरस के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में इंसानियत, भाईचारा और सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश करते हुए रोजेदारों ने एक धर्मशाला के संरक्षक रमेशचंद माथुर की अर्थी को मंगलवार को कंधा दिया। इलाके के पार्षद मौ. मोबीन ने बताया कि शाहपीर गेट निवासी कायस्थ धर्मशाला के संरक्षक 68 वर्षीय रमेश चंद्र माथुर का मंगलवार को निधन हो गया। उन्हें कैंसर था। उन्होंने बताया कि उनका एक पुत्र चंद्रमौली माथुर (28) मेरठ में ही है, लेकिन दूसरा बेटा और अन्य रिश्तेदार बाहर रहते हैं और लॉकडाउन के कारण यहां नहीं आ सके।

उन्होंने कहा कि वर्षों से हम सभी यहां साथ रहते आए हैं, ऐसे में सिर्फ रिश्तेदारों की कमी के कारण किसी की अर्थी को कंधा ना मिले, यह सही नहीं है। मुसलमान बाहुल्य वाले इलाके शाहपीर गेट क्षेत्र के पार्षद मोबीन ने बताया कि हमने तय किया कि अंतिम संस्कार में हम पूरी मदद करेंगे, अर्थी को कंधा भी देंगे।

उन्होंने बताया कि हम उनके बेटे के साथ अर्थी को कंधा देकर उन्हें सूरजकुंड शमशान ले गए जहां चन्द्रमौली ने उन्हें मुखाग्नि दी। रमेशचंद माथुर के अंतिम संस्कार में परिवार के अलावा मुस्लिम समुदाय के कई लोग शामिल थे। सभी का यही कहना था कि हम साथ रहते आए हैं, जीवन साथ जिया है तो मृत्यु में हम अलग कैसे हो गए। रोजे रखकर अर्थी को कंधा देने वाले इन लोगों ने कहा कि रमजान के इस पाक महीने में अल्लाह ने हमसे जो नेक काम कराया है, उसके लिए हम उसके शुक्रगुजार हैं।

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