नई दिल्ली: दिल्ली में हुई हिंसा पर गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में विपक्ष के सवालों के जवाब दिए। शाह ने राज्यसभा में कहा, ''मैं सरकार की तरफ से जिन लोगों की जान गई है जिनकी संपत्ति का नुकसान हुआ है उन सभी के प्रति दुख व्यक्त करना चाहता हूं''। उन्होंने कहा, ''दंगों को करने वाले, दंगों के लिए जिम्मेदार लोग और षडयंत्र करने वाले लोग किसी भी पार्टी या समुदाय के हों उनको छोड़ा नहीं जाएगा। वैज्ञानिक जांच के आधार पर अदालत में खड़ा किया जाएगा।'' गृह मंत्री ने बताया कि 1922 चेहरों की पहचान कर ली गई है, उसमें 336 उत्तर प्रदेश के लोग हैं।
दिल्ली हिंसा पर संसद में चर्चा को लेकर हुई देरी पर शाह ने कहा, ''25 फरवरी की रात को 11 बजे सूचना आई, 2 मार्च को जब सदन शुरू हुआ तो दंगे समाप्त हो चुके थे और पुनर्वास की प्रक्रिया चल रही थी। पुलिस जांच में लगी थी और डॉक्टर घायलों के इलाज में लगे थे।'' उन्होंने कहा, ''सामने होली का त्योहार था और कई बार होली के त्योहार के दौरान देश में दंगे भी हुए थे ऐसे में एहतियात के तौर पर होली पर फिर माहौल न बिगड़े इसलिए सरकार ने होली के बाद 11 और 12 मार्च को चर्चा का फैसला लिया। इसके अलावा चर्चा में देरी का कोई और कारण नहीं है।''
गृह मंत्री ने कहा, चर्चा में देरी के पीछे, छिपाना या किसी को बचाने का कोई लक्ष्य नहीं था। भारत का लोकतंत्र इस स्थिति पर है कि कोई भी किसी कुछ नहीं छिपा सकता। दंगों को रोकने के लिए क्या किया इस तरह की बात उठी, कई आशंकाएं उठाई गईं। जो अबतक कार्रवाई हुई है उसे ध्यान में रखना चाहता हूं, अबतक 700 से ज्यादा एफआईआर हुई है, पुलिस ने किसी की एफआईआर को नहीं रोका है। सभी 12 थानों के लिए सरकार ने स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त किए हैं। 2647 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और वैज्ञानिक तरीके से गिरफ्तारियां हो रही हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने जनता से दंगों की वीडियो फुटेज मांगी है और जनता की तरफ से ढेर सारी फुटेज दी गई है।
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