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Hindi News भारत राष्ट्रीय मोदी कैबिनेट बुधवार को मंजूर कर सकती है कृषि कानूनों की वापसी के विधेयक, 29 नवंबर को SKM की बैठक

मोदी कैबिनेट बुधवार को मंजूर कर सकती है कृषि कानूनों की वापसी के विधेयक, 29 नवंबर को SKM की बैठक

कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा है कि वे संसद द्वारा कानून निरस्त किए जाने तक प्रदर्शन स्थल पर डटे रहेंगे।

मोदी कैबिनेट बुधवार को मंजूर कर सकती है कृषि कानूनों की वापसी के विधेयक- India TV Hindi Image Source : PTI मोदी कैबिनेट बुधवार को मंजूर कर सकती है कृषि कानूनों की वापसी के विधेयक

Highlights

  • कैबिनेट बैठक में मंजूरी के बाद संसद में पेश होंगे विधेयक
  • 29 नवंबर से शुरू होगा संसद का शीतकालीन सत्र
  • प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को किया था कानून वापसी का ऐलान

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयकों को बुधवार को मंजूरी देने की संभावना है। सरकार के सूत्रों ने यह जानकारी दी। मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इन विधेयकों को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्व के मौके पर कानूनों को वापस लेने की सरकार की मंशा की घोषणा की थी। 

कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा है कि वे संसद द्वारा कानून निरस्त किए जाने तक प्रदर्शन स्थल पर डटे रहेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) आगे के कदमों पर फैसला करने के लिए 27 नवंबर को एक और बैठक करेगा, जबकि 29 नवंबर को किसानों का संसद तक निर्धारित मार्च तय कार्यक्रम के अनुरूप ही होगा।

रविवार को सिंघू बॉर्डर पर एसकेएम की बैठक के बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “हमने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा पर चर्चा की। इसके बाद, कुछ फैसले लिए गए। एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पहले की तरह ही जारी रहेंगे। 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा।” 

प्रदर्शन कर रहे किसान संघों के मुख्य संगठन एसकेएम ने आगे के कदमों पर फैसला लेने के लिए रविवार सुबह बैठक की। इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का मुद्दा और आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च शामिल है। 

किसान नेता अपने इस रुख पर कायम हैं कि प्रदर्शनकारी दिल्ली की सीमाओं पर तब तक रहेंगे, जब तक कि केंद्र संसद में इन कानूनों को औपचारिक रूप से रद्द नहीं करता और एमएसपी की वैधानिक गारंटी और विद्युत संशोधन विधेयक वापस लेने की उनकी अन्य मांगें नहीं मान ली जाती हैं।

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