नई दिल्ली: इलाहबाद हाई कोर्ट ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को देश की जरूरत बताया और केंद्र सरकार को इसे लागू करने को लेकर विचार करने को कहा है। बता दें कि संविधान की धारा 44 के तहत कहा गया है कि भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होने की बात कही गई है।
हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड देश की जरूरत है और इसे अनिवार्य रूप से लाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘इसे सिर्फ स्वैच्छिक नहीं बनाया जा सकता, अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा व्यक्त की गई आशंका और भय के मद्देनजर जैसा कि 75 साल पहले डॉक्टर बीआर अंबेडकर ने कहा था।’
आपको बता दें कि कि हाईकोर्ट में अलग-अलग धर्मों के दंपति ने मैरेज रजिस्ट्रेशन में सुरक्षा को लेकर याचिका दायर की थी। इसी मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने कहा कि ये समय की आवश्यकता है कि संसद एक ‘एकल परिवार कोड’ के साथ आए। अंतरधार्मिक जोड़ों को ‘अपराधियों के रूप में शिकारट होने से बचाएं।’ अदालत ने आगे कहा, ‘हालात ऐसे बन गए हैं कि अब संसद को हस्तक्षेप करना चाहिए और जांच करनी चाहिए कि क्या देश में विवाह और पंजीकरण को लेकर अलग-अलग कानून होने चाहिए या फिर एक।’
Latest India News