इकलौता बेटा बना मौलाना, अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम निराश
फरार माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर के अपने परिवार में पैदा हुई एक समस्या के कारण अवसादग्रस्त होने की खबर है। इस मुद्दे को वह न तो अपनी श्रमशक्ति से और न ही बंदूक के दम से सुलझा पा रहा है।
ठाणे: फरार माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम कास्कर के अपने परिवार में पैदा हुई एक समस्या के कारण अवसादग्रस्त होने की खबर है। इस मुद्दे को वह न तो अपनी श्रमशक्ति से और न ही बंदूक के दम से सुलझा पा रहा है। पुलिस अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी। यह समस्या उसके तीसरे बच्चे को लेकर है और वह है दाऊद का इकलौता बेटा 31 वर्षीय मोइन नवाज डी. कास्कर। जिसने परिवार के कारोबार का त्याग कर एक मौलाना बनने का निर्णय लिया है।
ठाणे के जबरन वसूली रोधी प्रकोष्ठ के प्रमुख प्रदीप शर्मा ने आईएएनएस को बताया, "मोइन अपने पिता की अवैध गतिविधियों के खिलाफ है, जिसने पूरे परिवार को दुनिया भर में कुख्यात कर दिया है और हर जगह उन्हें भगोड़ा बना दिया है।"
उन्होंने कहा कि दाऊद के छोटे भाई इकबाल इब्राहिम कास्कर से पूछताछ के दौरान पता चला कि परिवार में अशांति को लेकर वह अंदर से टूट गया है। इकबाल को ठाणे एईसी द्वारा पिछले सितंबर में जबरन वसूली के तीन मामलों में गिरफ्तार किया गया था।
इकबाल कास्कर ने जांचकर्ताओं को बताया कि चिंतित दाऊद को पारिवारिक अशांति के कारण निराशा का सामना करना पड़ रहा है। वह परेशान है कि भविष्य में कौन उसके विशाल अंडरवल्र्ड साम्राज्य की देखभाल करेगा और उसे संभालेगा।
इससे भी ज्यादा उसके दूसरे भाई अनीस इब्राहिम कास्कर की अब उम्र बढ़ रही है और खबर है कि उसका भी स्वास्थ्य ठीक नहीं है। साथ ही अन्य भाइयों की मृत्यु हो चुकी है और साम्राज्य को संभालने के लिए कोई विश्वसनीय रिश्तेदार भी उपलब्ध नहीं है।
शर्मा ने कहा, "पिछले कुछ सालों से उसका बेटा परिवार और उसके सभी व्यवसायों से व्यावहारिक रूप से अलग हो गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या वह अपने पिता की जगह संभालेगा।"
इकबाल कास्कर ने जांचकर्ताओं से कहा कि उसका भतीजा मोइन अब एक सम्मानित और योग्य मौलाना है। मौलाना को 'हाफिज-ए-कुरान' कहा जाता है, जिसने पवित्र कुरान को पूरा याद किया है। कुरान में 6,236 छंद शामिल होते हैं।
इसके अलावा, उसने कराची के पॉश सदर उपनगर में फैशनेबल क्लिफ्टन इलाके में स्थित परिवार के बंगले को त्याग दिया है और अपने घर के आस-पास एक मस्जिद में एक भिक्षु की जिंदगी जीने का विकल्प चुना है।
हालांकि, उसकी पत्नी सानिया और उसके तीन नाबालिग बच्चों ने उसका साथ नहीं छोड़ा है और मस्जिद प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराए गए छोटे से आवास में वे उसके साथ रहते हैं।