नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न हिस्सों में रह रहे पाकिस्तानी हिन्दुओं ने मंगलवार को लोगों से अपील की कि वे ‘‘उनकी पीड़ा को समझें’’ और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन ना करें। संसद में संशोधित नागरिकता विधेयक पारित होने के बाद अपनी एक महीने की पोती का नाम ‘नागरिकता’ रखने वाली मीरा दास (40) का कहना है, ‘‘हम अपना घर, जमीन सब पीछे छोड़ आए हैं... सबकुछ पाकिस्तान में है। अब यही हमारा घर है। अगर आप हमें स्वीकार नहीं करेंगे तो हम कहां जाएंगे? कृपया हमारी पीड़ा को समझें और हमारे घावों को भरने वाले (कानून) के खिलाफ प्रदर्शन ना करें।’’
पाकिस्तान के हैदराबाद से 2011 में दिल्ली आयीं सोना दास (42) ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने जो तकलीफें झेली हैं, अगर आप उससे गुजरे होते तो आप कभी प्रदर्शन नहीं करते। यह कानून हमारे लिए आशा की नयी किरण है।’’
पाकिस्तान में असहनीय प्रताड़ना के चलते भारत में शरण लेने वाले लोग जब आपबीती सुनाते हैं तो उनका दर्द आंसू बनकर छलक जाता है। वे कहते हैं- वहां हमें पाकिस्तानी नहीं समझा गया और यहां हिंदू नहीं माना जा रहा है।
हिंदुस्तान हमें अपने घर जैसा लगता है। यहां शांति है, सुकून है। केंद्र की मोदी सरकार ने हमारे लिए भगवान जैसा काम किया है। तौहीन ए रिसालत कानून पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए काल बन गया है।
सात साल पहले पाकिस्तान में अपना घर, नौकरी व रिश्तेदारों को छोड़कर हिंदुस्तान आए सैकड़ों परिवारों का दर्द कम तो हुआ है, लेकिन अब भी खत्म नहीं हुआ। वे दुखी हैं कि वहां उन्हें पाकिस्तानी की बजाय हिंदू मानकर प्रताड़ित किया गया। अब हिंदुस्तान आए हैं तो उन्हें हिंदू की बजाय पाकिस्तानी कहा जाता है।
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