नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति द्वारा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग नोटिस खारिज किए जाने को विपक्ष के दो नेताओं ने आज सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सभापति ने यह कहते हुए नोटिस खारिज कर दिया था कि न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ किसी प्रकार के कदाचार की पुष्टि नहीं हुई है।
महाभियोग नोटिस देने वाले सांसदों में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ से तत्काल सुनवाई के लिए यचिका को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।
पीठ ने मास्टर ऑफ रोस्टर के संबंध में संविधान पीठ के फैसले का हवाला देते हुए सिब्बल और अधिवक्ता प्रशांत भूषण से कहा कि वह तत्काल सुनवाई के लिए याचिका प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखें। जिन दो सांसदों ने याचिका दायर की है, वे हैं- पंजाब से कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह बाजवा और गुजरात से अमी हर्षदराय याज्ञनिक।
सिब्बल ने कहा कि मास्टर ऑफ रोस्टर के संबंध में संविधान पीठ का फैसला उन्हें ज्ञात है, लेकिन महाभियोग नोटिस प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ होने के कारण शीर्ष अदालत का वरिष्ठतम न्यायाधीश तत्काल सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध कर सकता है।
सिब्बल ने कहा, ‘‘मुझे प्रक्रिया की जानकारी है, लेकिन इसे किसी अन्य के समक्ष नहीं रखा जा सकता। एक व्यक्ति अपने ही मुकदमे में न्यायाधीश नहीं हो सकता। मैं सिर्फ तत्काल सुनवाई का अनुरोध कर रहा हूं, मैंने कोई अंतरिम राहत नहीं मांगी है।’’
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