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Hindi News भारत राष्ट्रीय 10 साल तक घर में बंद रहे 3 भाई-बहन, दर्दनाक है वजह, देखिए तस्वीरें

10 साल तक घर में बंद रहे 3 भाई-बहन, दर्दनाक है वजह, देखिए तस्वीरें

Saathi Seva Group एनजीओ से जुड़े लोगों ने बताया कि उन्हें किशनपारा मोहल्ले से फोन आया था जिसमें बताया गया था कि मेहता परिवार के तीन सदस्यों ने वर्षों से बाहर कदम नहीं रखा है। 

two brother and their sister locked themselves in room for 10 years 10 साल तक घर में बंद रहे 3 भाई-ब- India TV Hindi Image Source : INDIA TV 10 साल तक घर में बंद रहे 3 भाई-बहन, दर्दनाक है वजह, देखिए तस्वीरें

राजकोट. हाल ही में देश में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था। करीब 70 दिन लंबे लॉकडाउन में जब राहत दी गई तो लोगों ने राहत की सांस ली। कोरोन के प्रसार को रोकने के लिए लोग अपने घरों में कैद रहे लेकिन जब उन्हें सरकार की तरफ से बाहर निकलने की अनुमति दी गई तो कई लोगों ने कहा कि आजादी क्या है, इसका आभास उन्हें हो गया। अब जरा विचार करिए कि क्या इस दुनिया में ऐसे भी लोग होंगे जो 10 साल या इससे भी ज्यादा समय तक एक कमरे में रह सकते हों, एक ऐसे कमरे में जिसमें सूरज की रोशनी की एक किरण भी न आती हो।

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सुनने में ये थोड़ा अजीब जरूर लगे लेकिन गुजरात के राजकोट से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां तीन लोगों- दो भाई और उनकी सगी बहन ने अपने आप को पिछले 10 सालों से दुनिया से पूरी तरह काटा हुआ था और खुद को एक कमरे में बंद किया हुआ था। इस बात की जानकारी जब साथी सेवा ग्रुप नाम के एक एनजीओ को मिली तो वो राजकोट के किशनपारा मोहल्ले में पहुंचे और इन तीनों लोगों के कमरे को तोड़कर इन्हें बाहर निकाला।

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Saathi Seva Group एनजीओ से जुड़े लोगों ने बताया कि उन्हें किशनपारा मोहल्ले से फोन आया था जिसमें बताया गया था कि मेहता परिवार के तीन सदस्यों ने वर्षों से बाहर कदम नहीं रखा है। जिसके बाद वो लोग यहां पहुंचे। एनजीओ के लोगों ने जब कमरे में एंट्री की तो वहां मानव मल जमा था, चारों तरफ अखबार, बासी भोजन और दाल-रोटियां बिखरी हुई थीं। कमरे में बंद दोनों भाइयों के बाल उनके घुटने और दाढ़ी छू रही थी। इनके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था और उनके शरीर लगभग बिना मांस के कंकाल हो गए हैं।

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इन तीनों के पिता 80 वर्षीय नवीन मेहता ने जब अपने बच्चों के शैक्षिक योग्यता के बारे में जानकारी दी तो सब चौंक गए। उनके तीनों बच्चों में सबसे बड़ा 42 साल का है, उसके पास बीए एलएलबी की डिग्री है औऱ वो वकालत करता था। दूसरा ने इकोनोमिक्स में स्नातक किया है जबकि 39 साल की इनकी बहन मेघा ने psychology में एमए किया है। इस समय इनकी हालत दयनीय है,सबसे छोटा लड़का इतना लाचार हो चुका है कि वो खड़ा भी नहीं हो सकता। 

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नवीन मेहता ने बताया कि उनका छोटा बेटा एक होनहार क्रिकेटर था और स्थानीय टूर्नामेंट में खेलता था। नवीन मेहता खुद के रिटायर्ड गवरमेंट कर्मचारी है। वो भी उसी घर में रहते हैं। उन्हें हर महीने 35000 रुपये पेंशन मिलती है। जिसके जरिए वो अपने बच्चों को खाना उपलब्ध करवाते हैं। उन्होंने बताया, "मेरे दोनों बेटों ने लगभग 10 साल पहले अपनी माँ की मृत्यु के बाद खुद को कमरे में बंद कर लिया था। उन्हें बहुत समझाने पर भी वो नहीं माने।" उन्होंने अपने कुछ रिश्तेदारों पर भी अपने बच्चों पर काला जादू करने का आरोप लगाया।

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एनजीओ के लोग जब कमरे को तोड़कर दाखिल हुए तो उन्होंने मेघा को शांत करने की कोशिश की, तो उसने लगातार कहा कि ठीक है लेकिन मेघा इस दौरान लगातार खाना मांगती रही और कहती रही कि उसे भाइयों का ध्यान रखना है। NGO founder Jalpa Patel ने बताया कि जब वो नवीन मेहता के घर पर पहुंचे तो वो सामान खरीदने बाहर गए हुए थे। कई बार खटकाने के बावजूद भी जब लंबे समय तक दरवाजा नहीं खुला तो उनके लोग घर में कूद गए और दरवाजा तोड़ दिया।

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उन्होंने बताया कि तीन भाई-बहनों को mentally challenged नहीं हैं क्योंकि वे यह समझने में सक्षम थे कि हम उनसे क्या पूछ रहे हैं। उन्हें अपनी माँ की मृत्यु का गंभीर आघात लगा होगा। NGO ने यहां एक नाई को बुलाकर दोनों भाईयों के बाल कटवाए, उन्हें नहलाया और पहनने के लिए नए कपड़े दिए।

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नवीन मेहता ने Saathi Seva NGO के स्वयंसेवकों से कहा कि वह रिश्तेदारों के साथ विचार-विमर्श के बाद एक हफ्ते में अपने बच्चों के भविष्य के बारे में फैसला करेंगे। अगर वह उनकी देखभाल करने में सक्षम नहीं होगे, तो एनजीओ उन्हें एक संगठन की देखभाल के तहत रखेगा। स्थानीय नगर निगम को भी इनके बारे में सूचित कर दिया गया, जिसके बाद नगर निगम  ने पूरे घर की सफाई और सेनिटाइजेशन करने का फैसला किया है।

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