अवार्ड वापसी का सच: 15 में से 9 साहित्यकारों ने नहीं लौटाए अवार्ड
नई दिल्ली: देश के लेखकों का विरोध स्वरूप अवार्ड लौटाने का फैसला बेहद गंभीर है और यह राजनीतिक और साहित्य जगत में विवाद का विषय बन चुका है। देश में अभी तक 15 साहित्यकार साहित्य
नई दिल्ली: देश के लेखकों का विरोध स्वरूप अवार्ड लौटाने का फैसला बेहद गंभीर है और यह राजनीतिक और साहित्य जगत में विवाद का विषय बन चुका है। देश में अभी तक 15 साहित्यकार साहित्य अकादमी अवार्ड वापस करने की बात कह चुके हैं। हालांकि साहित्य अकादमी की रिपोर्ट के अनुसार केवल 6 साहित्यकारों ने साहित्य अकादमी अवार्ड वापस करने की बात कही है। आपको बता दें कि विख्यात साहित्यकार नयनतारा सहगल ने अवार्ड वापस करने की बात को मीडिया में जाहिर तो कर दी, लेकिन अभी तक उसे लौटाया नहीं है। साहित्य अकादमी ने इस पूरे विवाद पर रिपोर्ट तैयार कराई है जिस पर 23 अक्टूबर को साहित्यकारों द्वारा अवार्ड वापस लेने पर अंतिम फैसला किया जाएगा।
6 लेखकों में केवल 2 ने वापस की अवार्ड की रकम-
जिन साहित्यकारों ने अवार्ड वापस करने की बात कहीं है उसमें से केवल 2 साहित्यकार ऐसे हैं जिन्होंने रकम वापस की है, 4 लेखकों ने अभी इसे वापस नहीं लौटाया है।
23 अक्टूबर को बैठेगा साहित्य अकदमी का एग्जीक्यूटिव बोर्ड-
साहित्यकारों द्वारा विरोध स्वरूप अवार्ड वापस करने संबंधी पूरे विवाद पर 23 अक्टूबर को साहित्य अकादमी विचार करने का फैसला किया है। इसके लिए 23 अक्टूबर को एक बैठक का आयोजन किया गया है जिसमें 24 भाषाओं के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस बैठक में तय किया जाएगा कि इस पूरे मामले पर अंतिम फैसला क्या हो।
क्या है पूरा मामला-
कन्नड़ लेखक कलबुर्गी की हत्या के बाद लेखक उदय प्रकाश ने साहित्य सम्मान लौटाकर सबसे पहले विरोध की शुरुआत की और उनके इस रास्ते पर देश के कई अन्य लेखक भी चल पड़े। लेखकों का कहना है कि देश में पनप रहे साप्रदायिक वैमनस्व के विरोध में साहित्य अकादमी द्वारा दिया गया सम्मान लौटा रहे हैं। साहित्य बिरादरी के इन लेखकों ने कन्नड़ लेखक कलबुर्गी की हत्या सहित दादरी कांड पर तीखा विरोध करते हुए कहा है कि मुंह सिल लिया तो खतरे और भी बढ़ जाएंगे। कलबुर्गी की हत्या की निंदा नहीं करने के चलते साहित्य अकादमी का लेखक समाज विरोध कर रहा है। लेखक समाज इस बात से बेहद खफा है कि कलबुर्गी की हत्या पर शोक सभा तो की गई, लेकिन उनकी हत्या की निंदा नहीं की गई।
4 साहित्यकार ने लौटाए सम्मान पर नहीं वापस की अवार्ड की रकम
1- जी एन देवी पुस्तक "after amnesia"
2- वरीयाम संधू पुस्तक "चौथी कूट"
3- अमन सेठी पुस्तक "A Free man"
4-- जी एन रँगनाथा राव
अशोक वाजपेयी और उदय प्रकाश ने वापस किया अवार्ड-
केवल अशोक वाजपेयी और उदय प्रकाश ने अवार्ड की रकम लौटाई। उदय प्रकाश को मोहनदास और वाजपेयी को "कहीं नही वही" के लिए अवार्ड मिला था।
9 नाम जिन्होंने अब तक नही लौटाए अवार्ड-
1-- कृष्णा सोबती
2-- मंगलेश डबराल
3-- राजेश जोशी
4-- नयनतारा सहगल
5-- गुरु बच्चन सिंह भुल्लर
6-- आत्मजीत
7-- अजमेर सिंह औलख
8-- सारा जोसफ
9-- डी एन श्रीनाथ
बड़ी घटनाओं पर साहित्य अकादमी की खामोशी?
साहित्य अकादमी लेखकों द्वारा अवार्ड वापस किए जानें पर 23 अक्टूबर को मंत्रणा कर अंतिम फैसला लेगा। लेकिन यहां लेखकों द्वारा की जा रही मांग भी साहित्य अकादमी पर सवाल खड़ा करती है। ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार हुआ हो जब साहित्य अकादमी किसी बड़े लेखक की हत्या की निंदा नहीं की हो इस तरह के सवाल साहित्य अकादमी पर पहले भी उठे हैं। लेखक अवतार सिंह पाश और मानबहादुर की हत्या हो जाने के बाद भी साहित्य अकादमी ने निंदा नहीं की ? भोपाल गैस कांड जैसी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद साहित्य समाज की हलचलें चलती रहीं और निंदा तब भी नहीं की गई?
23 अक्टूबर को साहित्य अकादमी की बैठक में जब लेखकों के द्वारा सम्मान लौटाए जाने पर बैठक होगी तो साहित्य अकादमी का इतिहास और उसका वर्तमान दोनों ही बहस का मुद़दा हो सकते हैं।