ट्रिपल तलाक: मुस्लिम महिला संगठन ने राहुल गांधी से समर्थन मांगा, चिट्ठी में लिखी ये बातें
मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की पैरोकारी करने वाले संगठन ‘भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन’ (BMMA) ने कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी सहित देश के प्रमुख विपक्षी नेताओं को आज चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है कि
नयी दिल्ली: मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की पैरोकारी करने वाले संगठन ‘भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन’ (BMMA) ने कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी सहित देश के प्रमुख विपक्षी नेताओं को आज चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है कि वे सरकार की ओर से एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को प्रतिबंधित करने के लिए लाए जा रहे विधेयक का समर्थन करें।
तीन तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की पैरोकारी करने वाले BMMA की सह-संस्थापक नूरजहां सफिया नियाज और जकिया सोमन ने आज एक बयान में कहा कि संगठन ने राहुल के अलावा तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती और माकपा महाससचिव सीताराम येचुरी को भी पत्र लिखा है।
सफिया नियाज ने कहा, ‘‘तीन तलाक को प्रतिबंधित करने से जुड़ा विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है। संसद में इस विधेयक को पारित कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों को सहयोग करना चाहिए।’’ गौरतलब है कि तलाक-ए-बिद्दत को प्रतिबंधित करने लिए तैयार विधेयक के मसौदे को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज स्वीकृति प्रदान की। बीते 22 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने तलाक-ए-बिद्दत को गैरकानूनी और अंसवैधानिक करार दिया था।
राहुल को लिखे पत्र में BMMA ने कहा, ‘‘हम भारतीय मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले कानूनी भेदभाव को खत्म करने के लिए आप (राहुल) से सक्रिय सहयोग की मांग करते हैं।’’ संगठन ने कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिम महिलाओं ने पारिवारिक मामलों में न्याय और समानता की मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद की हैं। उच्चतम न्यायालय ने 22 अगस्त के अपने फैसले में एक बार में तीन तलाक को रद्द कर दिया था, लेकिन निकाह हलाला, बहुविवाह, शादी की उम्र, बच्चों के सरंक्षण जैसे मुद्दों का अभी निदान नहीं हुआ है। मुस्लिम महिलाओं को उनके कुरान में दिए अधिकारों और संवैधानिक अधिकारों दोनों से वंचित किया गया है।’’
BMMA ने हाल ही में ‘मुस्लिम परिवार कानून’ के नाम से एक मसौदा तैयार किया था और सरकार से मांग की थी कि इसी की तर्ज पर कानून बनाया जाए। उसका कहना रहा है कि किसी भी कानून में तीन तलाक के अलावा निकाह हलाला, बहुविवाह, शादी की उम्र, बच्चों के सरंक्षण जैसे मुद्दे भी शामिल किये जाए क्योंकि ऐसा किये बिना मुस्लिम महिलाओं को पूरी तरह न्याय नहीं मिल पाएगा।
दूसरी तरफ, सरकार जो विधेयक ला रही वह सिर्फ तलाक-ए-बिद्दत से जुड़ा हुआ है। इसके तहत एक बार में तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल जेल की सजा हो सकती है और पीड़िता गुजारा-भत्ते की मांग करते हुए मजिस्ट्रेट का रुख भी कर सकती है। BMMA ने राहुल से कहा, ‘‘संसद के शीतकालीन सत्र में चर्चा (सरकार के विधेयक पर) के समय हमारे मसौदे की बातों को भी आगे बढ़ाया जाए। मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ कानूनी भेदभाव को खत्म करने और न्याय दिलाने के लिए हम आपका सहयोग चाहते हैं।’’