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Hindi News भारत राष्ट्रीय झारखंड में आदिवासी महिलाएं नीम के पत्तों से बना रहीं mask

झारखंड में आदिवासी महिलाएं नीम के पत्तों से बना रहीं mask

अभी गेहूं की फसल की कटाई से लेकर अन्य कृषि कार्य ये महिलाएं नीम और अन्य औषधीय गुण वाले पत्तों का मास्क पहनकर ही कर रही हैं। प्राकृतिक मास्क आदिवासी समाज की महिलाएं खुद तैयार करती हैं। इस मास्क को बनाने में इन्हें कोई लागत भी नहीं आती है।

Neem Mask- India TV Hindi Image Source : TWITTER Representational Image

देवघर. Coronavirus से बचाव के लिए इन दिनों समूची दुनिया मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रही है। मास्क बनाने में यूं तो केंद्रीय मंत्री और फैशन डिजाइनर से लेकर आम-अवाम महिलाएं भी लगी हुई हैं, मगर जंगलों की बहुलता वाला राज्य झारखंड इस मायने बिल्कुल अलग है कि यहां प्राकृतिक मास्क भी बनाए जा रहे हैं और ये मास्क बना रही हैं आदिवासी महिलाएं।

हां, झारखंड के देवघर में आदिवासी महिलाएं नीम के पत्तों से मास्क बनाकर इसका इस्तेमाल कर रही हैं। हालांकि यह दावा नहीं किया जा सकता कि ये मास्क कोरोना से बचाव में बहुत कारगर हैं, मगर इस बात से कौन इनकार करेगा कि नीम के पत्ते कीटाणुनाशक होते हैं! मास्क बनाने में नीम के पत्तों का इस्तेमाल कर रहीं लक्ष्मी कहती हैं, "हम प्रकृति-पूजक हैं, हमारी मान्यता है कि प्रकृति देवता हमारी रक्षा करते हैं। नीम का पत्ता बहुत गुणकारी है, यह कीटाणुओं का नाश करता है, इसलिए हमलोग नीम के पत्ते का मास्क बनाते और पहनते हैं।"

देवघर निवासी उत्तम आनंद कहते हैं कि नीम में प्राकृतिक रूप से औषधीय गुण होते हैं, यह बात सभी को पता है। दूसरी बात कि आदिवासी समुदाय में प्रकृति के प्रति प्रेम और लगाव ज्यादा होता है। इसलिए इस समुदाय की महिलाएं प्राकृतिक उपायों पर ज्यादा भरोसा करती हैं। कोरोना के प्रकोप के बीच देवघर जिला प्रशासन हालांकि हर व्यक्ति तक मास्क उपलब्ध कराने की हर संभव प्रयास कर रहा है, लेकिन देवघर के आदिवासी बहुल एक गांव में महिलाओं ने क्लिनिकल मास्क का एक नायाब विकल्प ढूंढ़ निकाला है।

अभी गेहूं की फसल की कटाई से लेकर अन्य कृषि कार्य ये महिलाएं नीम और अन्य औषधीय गुण वाले पत्तों का मास्क पहनकर ही कर रही हैं। प्राकृतिक मास्क आदिवासी समाज की महिलाएं खुद तैयार करती हैं। इस मास्क को बनाने में इन्हें कोई लागत भी नहीं आती है। हरेक दिन बनाए जा रहे इस मास्क को तैयार कर ये महिलाएं आदिवासी समाज के पुरुषों को भी उपलब्ध करा रही हैं। बड़ी बात यह कि फसल कटाई के दौरान आदिवासी समाज की ये महिलाएं सोशल डिस्टेंसिंग का भी अनुपालन कर रही हैं।गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने क्लिनिकल मास्क नहीं होने पर गमछा या किसी साफ कपड़े को बतौर मास्क इस्तेमाल करने की सलाह दी है। इससे एक कदम आगे बढ़कर आदिवासी समाज के लोग औषधीय गुणों से भरपूर नीम के पत्ते से बने मास्क का उपयोग कर रही हैं।

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