नई दिल्ली। लद्दाख को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देने के मुद्दे पर बुधवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी), गृह मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय की बैठक होगी। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "एनसीएससी, गृह मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ इस बात पर चर्चा करेगा कि क्या लद्दाख को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिया जा सकता है, जिसकी स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं।"
अधिकारी ने कहा कि आयोग यह भी जानना चाहता है कि मुख्य रूप से जनजातीय आबादी वाले केंद्र शासित प्रदेश चाहे वह अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप या दादरा और नागर हवेली हो, संविधान की पांचवीं या छठी अनुसूची का हिस्सा क्यों नहीं है।
लद्दाख के भाजपा सांसद जम्यांग त्सेरिंग नामग्याल ने अगस्त में जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को दिए ज्ञापन में कहा था कि यह क्षेत्र मुख्य रूप से आदिवासी बहुल है, जिसमें आदिवासियों की आबादी 98 प्रतिशत है। उन्होंने कहा था कि केंद्र द्वारा लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के फैसले की घोषणा के बाद यहां की जनजातीय आबादी की सबसे बड़ी चिंता अपनी पहचान, संस्कृति, भूमि और अर्थव्यवस्था की रक्षा करना है।
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